सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री रेड्डी के खिलाफ भाजपा की याचिका को खारिज किया

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को राहत देते हुए भाजपा की याचिका खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वे इस पर विचार नहीं करेंगे। याचिका में तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें भाजपा के राज्य महासचिव करम वेंकटेश्वर राव की ओर से रेड्डी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा खारिज किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालतों को राजनीतिक विवादों का मंच नहीं बनाया जा सकता। पीठ ने यह भी कहा कि एक राजनेता को अपने विरोधियों की आलोचना सहने की क्षमता होनी चाहिए। भाजपा की ओर से दर्ज आपराधिक मुकदमे में मुख्यमंत्री रेड्डी के बयान को आधार बनाया गया था। 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रेड्डी ने कथित तौर पर कहा था कि यदि भाजपा 400 से अधिक सीटें जीतती है तो वह संविधान में बदलाव करेगी और एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण समाप्त कर देगी।

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार की दलीलें सुनने के अनुरोध पर कहा कि अदालतों को राजनीतिक लड़ाई का मंच नहीं बनने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री रेड्डी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि यदि यह मामला मानहानि का है तो कोई राजनीतिक बहस नहीं होगी। तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण ने एक अगस्त को रेड्डी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा खारिज कर दिया था। भाजपा की शिकायत में यह दावा किया गया था कि भद्राद्री कोठागुडेम जिले में एक चुनावी सभा के दौरान रेड्डी ने भाजपा के खिलाफ ‘झूठे और मानहानिकारक’ बयान दिए थे।

शिकायतकर्ता ने कहा कि इस भाषण ने भाजपा की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाई है। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर यह झूठा राजनीतिक बयान दिया कि यदि भाजपा सत्ता में आई तो आरक्षण समाप्त कर देगी। एक निचली अदालत ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि रेड्डी के खिलाफ मानहानि के अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है। रेड्डी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

Share This Article