सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को पारदर्शिता विवाद पर नोटिस भेजा

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए व्यापक नियम बनाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही, मान्यता प्राप्त सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाने का निर्देश भी दिया गया है। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर यह आदेश पारित किया।

सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे नोटिस जारी करेंगे, लेकिन एक समस्या उत्पन्न हो सकती है कि राजनीतिक दलों को पक्षकार नहीं बनाया गया है। याचिका में यह दावा किया गया है कि दसवीं अनुसूची के तहत संवैधानिक स्थिति और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 ए के तहत वैधानिक मान्यता के बावजूद, राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज, पारदर्शिता या जवाबदेही को विनियमित करने के लिए कोई व्यापक कानून मौजूद नहीं है।

याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी है कि राजनीतिक दल आयकर अधिनियम की धारा 13ए के तहत कर छूट के अलावा दूरदर्शन/आकाशवाणी पर मुफ्त प्रसारण समय सहित सरकार की ओर से कई सुविधाएं लेते हैं, फिर भी वे अनियमित हैं। याचिका में मुख्य रूप से चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसके अलावा, भारत संघ (सरकार) को पारदर्शिता, आंतरिक दलीय लोकतंत्र और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कानून बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

इसके साथ ही, भ्रष्टाचार, काले धन के रूपांतरण और राजनीति के अपराधीकरण के साधन के रूप में राजनीतिक दलों के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता भी जताई गई है।

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