नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों में प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरासमेंट ऐट वर्कप्लेस (पीओएसएच) एक्ट के तहत आंतरिक शिकायत समिति बनाने की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि आप राजनीतिक दलों को दफ्तर के बराबर कैसे मान सकते हैं। जब कोई राजनीतिक दल में शामिल होता है तो वह रोजगार नहीं होता। न्यायालय ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो ब्लैकमेलिंग के दरवाजे खुल सकते हैं। याचिका वकील योगमाया ने दायर की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि भले ही कई महिलाएं राजनीतिक दलों की सक्रिय सदस्य हैं, लेकिन केवल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने ही बाहरी सदस्यों वाली एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया है। याचिका में कहा गया था कि विशाखा दिशा-निदेर्शों के मुताबिक आंतरिक शिकायत समिति का गठन अनिवार्य है। इस दिशा-निर्देश को हर राजनीतिक दलों पर लागू करना चाहिए। ऐसा करने से राजनीतिक दलों में महिलाओं के अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिलेगी।


