2012 छावला सामूहिक दुष्कर्म मामला : सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार करने को तैयार

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 8 फरवरी ()। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2012 के छावला सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों को बरी करने के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए तीन सदस्यीय पीठ गठित करने पर बुधवार को सहमति जताई।

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन दोषियों को बरी करने के अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया।

मेहता ने कहा कि एक 18 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया गया और क्रूरता से उसकी हत्या कर दी गई और अब, मामले के एक आरोपी ने एक ऑटो चालक का गला काट दिया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ गठित करने का अनुरोध किया।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह मामले की जांच के लिए खुद और जस्टिस रवींद्र भट और बेला त्रिवेदी की एक बेंच का गठन करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ओपन कोर्ट में सुनवाई के अनुरोध पर भी विचार करेगी।

दलील में कहा गया है: अदालत के सामने यह लाना महत्वपूर्ण है कि एक आरोपी विनोद ने अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में बरी होने के बाद लूटपाट का विरोध करने पर एक निर्दोष ऑटो चालक की हत्या कर दी।

विनोद को ऑटो चालक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

समीक्षा आवेदन में आगे कहा गया है कि बरी होने के बाद उसके ऊपर हत्या का मामला इस ओर संकेत करता है कि वह आदतन अपराधी है, जिसपर दयाभाव करना व्यर्थ है। आवेदन में मामले में रिकॉर्ड पर अतिरिक्त दस्तावेज रखने की भी मांग की गई है।

बता दें, पिछले साल नवंबर में, शीर्ष अदालत ने छावला बलात्कार और हत्या मामले में तीन लोगों को बरी कर दिया था।

दिल्ली के उपराज्यपाल (एल-जी) वी.के. सक्सेना ने इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करने की मंजूरी दी थी और पिछले साल दिसंबर में शीर्ष अदालत ने फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times