सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के मुद्दे पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने अगस्त में दिए अपने आदेश का पालन न करने और अनुपालन हलफनामा दाखिल न करने के लिए नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि इस आदेश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने और फिर उन्हें उनके मूल स्थान पर छोड़ने का निर्देश दिया गया था।
हालांकि, केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही जवाब दाखिल किया है, जो भी दीवाली अवकाश के कारण रिकॉर्ड पर नहीं है। कोर्ट ने गुस्से में कहा कि इस आदेश के बाद भी कई जगहों पर आवारा कुत्तों के हमले की खबरें सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, पिछले महीने महाराष्ट्र के पुणे में एक बच्चे पर हमला हुआ, जबकि भंडारा जिले में 20 कुत्तों के झुंड ने एक लड़की पर हमला किया। केरल के कन्नूर में एक व्यक्ति, जो आवारा कुत्तों पर नुक्कड़ नाटक कर रहा था, वह भी हमले का शिकार हुआ।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ और तेलंगाना के वारंगल में भी हाल के दिनों में हमले की घटनाएं सामने आई हैं। कोर्ट ने कहा, “इन घटनाओं से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो रही है।” देरी का कारण बताने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर देरी का कारण बताने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि दिल्ली सरकार ने अभी तक हलफनामा दाखिल नहीं किया है, जिसके लिए उसे फटकार लगाई गई।
दूसरी ओर, राजस्थान ने इस आदेश का पालन शुरू कर दिया है। वहां की स्वायत्त शासन विभाग ने सभी नगर निगमों और नगर पालिकाओं को निर्देश दिए हैं कि वे आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करें और उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ें। इसके लिए खाने के स्थान चिह्नित करने और पशु कल्याण संगठनों के साथ समन्वय करने का भी निर्देश दिया गया है। नसबंदी और टीकाकरण को ट्रैक करना दक्षिण भारत में ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने भी कोर्ट के आदेश के अनुरूप कदम उठाए हैं।
15 सितंबर तक, चेन्नई में 46,122 कुत्तों को रेबीज के खिलाफ टीका लगाया गया और 12,000 से अधिक कुत्तों को माइक्रोचिप लगाकर उनकी नसबंदी और टीकाकरण की स्थिति को ट्रैक करने के लिए जियो-मैपिंग की गई। कोर्ट ने अपने अगस्त के आदेश में यह स्पष्ट किया था कि आवारा कुत्तों को उनके मूल स्थान पर ही छोड़ा जाए, बशर्ते उनकी नसबंदी और टीकाकरण हो चुका हो। हालांकि, रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को इससे छूट दी गई है।

