नई दिल्ली, 6 फरवरी ()। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को समलैंगिक जोड़े की उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें केरल हाईकोर्ट ने के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उनमें से एक को मनोचिकित्सक के साथ काउंसलिंग सेशन सत्र में भाग लेने का निर्देश दिया गया था।
अधिवक्ता श्रीराम पी. ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया और मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की। पीठ ने वकील से संक्षिप्त विवरण तैयार रखने का आदेश दिया और कहा कि वह बोर्ड के अंत में मामले की सुनवाई करेगा।
याचिका में कहा गया है कि दोनों महिला हैं और वे दोनों शादी करना और साथ रहना चाहती हैं।
याचिका में केरल हाईकोर्ट के 13 जनवरी, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें हिरासत में ली गई एक महिला को उसके यौन रुझान के संबंध में मनोचिकित्सक के साथ काउंसलिंग सेशन में भाग लेने का निर्देश दिया गया।
याचिका में कहा गया है, वर्तमान विशेष अवकाश याचिका बंदी प्रत्यक्षीकरण के मूल सिद्धांत को लागू करने और हिरासत में ली गई महिला को अदालत में पेश करने की मांग कर रही है।
याचिका में कहा गया है कि हिरासत में ली गई महिला ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाईकोर्ट को स्पष्ट रूप से बताया कि वह याचिकाकर्ता से प्यार करती है और उसके साथ रहना चाहती हैं।
दलील में कहा गया है: यह काउंसलिंग कानून के तहत निषिद्ध है और मद्रास, उत्तराखंड और उड़ीसा के उच्च न्यायालयों ने विशेष रूप से इसे प्रतिबंधित करने वाले कानून का पालन किया है।
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