जालोर के स्वर्णगिरी दुर्ग का होगा नया अवतार

Kheem Singh Bhati

जालोर के 10वीं शताब्दी के ऐतिहासिक स्वर्णगिरी दुर्ग का 4.91 करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जिससे यह अगले एक-दो साल में फिर से जगमग होगा। 27 करोड़ की लागत से 1200 फीट ऊंचाई तक सड़क भी बनेगी। राजस्थान के जालोर शहर में स्थित 10वीं शताब्दी में निर्मित ऐतिहासिक स्वर्णगिरी दुर्ग, जिसे जालोर दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है, अब एक नए रूप में सामने आने वाला है।

करीब 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस दुर्ग तक पर्यटकों की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पहाड़ पर एक नई सड़क का निर्माण किया जाएगा। कुल 4.91 करोड़ रुपए की लागत से दुर्ग का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो चुका है। अगले एक से दो साल के भीतर इस ऐतिहासिक दुर्ग के अपने मूल स्वरूप में वापस जगमगाने की संभावना है। तत्कालीन कलेक्टर निशान्त जैन ने स्वर्णगिरी दुर्ग को निखारने के लिए एक महत्वपूर्ण मुहिम शुरू की थी।

इसके तहत मुख्यमंत्री बजट घोषणा गोडवाड़ सर्किट के तहत जीर्णोद्धार और मरम्मत कार्य के लिए 5.65 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। इसी स्वीकृत राशि में से 21 अप्रैल 2022 को 4.94 करोड़ रुपए के विकास कार्यों के लिए निविदा जारी की गई। पुरातत्व एवं संग्रहालय वृत्त जोधपुर और जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में दुर्ग के संरक्षण, जीर्णोद्धार और मरम्मत कार्य गतिमान हैं। जालोर दुर्ग को संवारने के लिए पहले भी कई प्रयास हुए हैं।

साल 2012 में एक समाचार पत्र के ‘आओ सहेजे विरासत’ अभियान के तहत राज्य सरकार ने लगभग 50 लाख रुपए की स्वीकृति जारी की थी। इसके बाद दुर्ग के परकोटे, मुख्य द्वारों की मरम्मत, रंगरोगन और तोपों को व्यवस्थित करने जैसे कार्य करवाए गए। हालांकि, तत्कालीन जिला कलेक्टर निशान्त जैन द्वारा 2022 में शुरू की गई पहल और 4.91 करोड़ रुपए का वर्तमान बजट अब तक का सर्वाधिक है, जो इसे इतिहास का सबसे बड़ा जीर्णोद्धार बनाता है।

इस अभियान में जालोर सहित जिले के विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं, सामाजिक व धार्मिक संगठनों और शहर वासियों ने भी श्रमदान कर अपना योगदान दिया था। वर्तमान में स्वर्णगिरी दुर्ग तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता सीढ़ियां हैं, जो पर्यटकों के लिए दुर्गम साबित होती हैं। आमजन और पर्यटकों की सुविधा के लिए 27 करोड़ रुपए की लागत से 5.45 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जाएगा। यह सड़क करीब 1200 फीट की ऊंचाई पर बने दुर्ग तक सीधी पहुंच प्रदान करेगी, जिससे गाड़ियां भी सीधे दुर्ग तक पहुंच सकेंगी।

हालांकि, इस परियोजना का मामला फिलहाल फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी के पास विचाराधीन है, और शीघ्र ही वन विभाग से अंतिम क्लियरेंस मिलने की संभावना है। जीर्णोद्धार योजना के तहत दुर्ग में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। दुर्ग तक की चढ़ाई पर विभिन्न स्थानों पर तीन शेल्टर बनाए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को आराम मिल सके। पर्यटकों की सुविधा के लिए एक टॉयलेट ब्लॉक का भी निर्माण किया जाएगा। सूरजपोल, ध्रुव पोल और चांद पोल सहित कुल चार प्रमुख द्वारों की मरम्मत की जाएगी। दुर्ग की 800 मीटर जर्जर दीवार की भी मरम्मत की जाएगी, जिससे इसकी ऐतिहासिक संरचना सुरक्षित रहे।

मानसिंह महल, रानी महल और भूल भुलैया का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा। करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के बावजूद, दुर्ग का मूल स्वरूप असामाजिक तत्वों द्वारा लगातार बिगाड़ा जा रहा है। सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण कुछ लोग दीवारों पर कलर, कोयला या पत्थरों से नाम उकेर कर दुर्ग के सौंदर्यीकरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जालोर विधायक और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि पुलिस और पुरातत्व विभाग की टीम होने के बावजूद विश्व धरोहर को खराब किया जा रहा है, और वे अधिकारियों से सुरक्षा पुख्ता करने के लिए बात करेंगे। जालोर जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गवांडे ने बताया कि 5 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार और विकास कार्य चल रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि होम गार्ड होने के बावजूद स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है, तो सीसीटीवी कैमरे लगाकर निगरानी की जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। कलेक्टर ने विश्वास दिलाया कि जालोर दुर्ग जल्द ही अपने पुराने गौरव के साथ जगमग दिखाई देगा।

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