जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद से जुड़े दो सरकारी शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। दोनों लश्कर-ए-तैयबा के ओवरग्राउंड वर्कर थे और आतंकियों को वित्तीय, लॉजिस्टिक और भर्ती में सहायता प्रदान करते थे। यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत की गई, जो आतंकवाद के प्रति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। पहले शिक्षक गुलाम हुसैन रियासी जिले के रहने वाले हैं, जो 2004 में रहबर-ए-तालीम और 2009 में नियमित शिक्षक बने थे। वे महौर के प्राथमिक विद्यालय कलवा में तैनात थे।
जांच में पता चला कि वे लश्कर हैंडलर मोहम्मद कासिम और गुलाम मुस्तफा से एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर संपर्क में थे। 2023 में गिरफ्तारी के दौरान आतंकियों के परिवारों को आर्थिक मदद और भर्ती में सहयोग की पुष्टि हुई, जो वैचारिक रूप से प्रेरित था। दूसरा शिक्षक राजौरी जिले में तैनात माजिद इकबाल डार थे। 2009 में पिता की मृत्यु के बाद लैब असिस्टेंट और 2019 में शिक्षक बने। वे नार्को-टेरर नेटवर्क से जुड़े थे।
जनवरी 2023 में राजौरी बैंक के पास IED मामले में गिरफ्तार हुए, जहां उन्होंने लश्कर आतंकियों मोड जबर और जोहैब शहजाद के साथ पाकिस्तानी हैंडलर के निर्देश पर विस्फोटक लगाया था। जेल में भी उनका कट्टरपंथी रुख बरकरार रहा। सरकारी सूत्रों ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी है और कोई भी सहयोगी बख्शा नहीं जाएगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन आतंक नेटवर्क के पूर्ण सफाए तक जीरो टॉलरेंस बनाए रखेगा। यह कदम समाज में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।


