राजस्थान में शिक्षकों की भूमिका से राजनीति में सुधार

Tina Chouhan

जयपुर। राज्य की सियासत बाकी राज्यों की तुलना में काफी संजीदा है। इसकी वजह है प्रदेश की राजनीति में शिक्षकों की अहम भूमिका। प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे शिक्षक रहे हैं, जिन्होंने प्रदेश और देश की राजनीति और सरकारों में अहम भूमिका निभाई। कुछ शिक्षक विधायक-सांसद ही बने, जबकि कुछ शिक्षक केन्द्रीय मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और राजनीतिक दलों के असरदार नेता भी रहे। राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री ने शिक्षा का एक ऐसा संस्थान ही खड़ा कर दिया, जो महिला शिक्षा पर केंद्रित था और शांति निकेतन को टक्कर देता था।

उदयपुर के कालूलाल श्रीमाली तो केंद्र में मंत्री रहे। केएल श्रीमाली उदयपुर निवासी श्रीमाली मौलाना आजाद के बाद नेहरू मंत्रिमण्डल में दूसरे शिक्षा मंत्री बने। वे वर्ष 1955 से 1963 तक केन्द्र में शिक्षा मंत्री रहे। भारत सरकार ने उनकी सेवाओं को देखकर उन्हें पदमविभूषण सम्मान से सम्मानित किया। शिक्षा को समर्पित जन शक्ति मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया था। गुलाब चन्द कटारिया वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल हैं। जीवन की शुरूआत एक शिक्षक के रूप में। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और गृहमंत्री रहे। शेखावत की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। मेवाड़ के बड़े नेता।

उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी दिलचस्पी ली और अहम काम किए। डॉ.सीपी जोशी जोशी मनोविज्ञान के प्रोफेसर रहने के साथ ही विद्यार्थी जीवन में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। वे प्रदेश के शिक्षा मंत्री, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री और केन्द्र में पंचायतीराज मंत्री रहे। बाद में विधानसभा के अध्यक्ष भी बने। वासुदेव देवनानी देवनानी ने अपने जीवन की शुरूआत शिक्षक के रूप में की, वे दो बार प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री रहे हैं। वर्तमान में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।

ललित किशोर चतुर्वेदी कॉलेज शिक्षा में साइंस के प्रोफेसर रहे हैं, वे राजस्थान में लम्बे समय तक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष, उच्च शिक्षा मंत्री और राज्य सभा सदस्य रहे हैं। डॉ. गिरिजा व्यास व्यास दर्शनशास्त्र की मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहने के साथ ही उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हुई। वे राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष, केन्द्र और राज्य में मंत्री भी रही हैं। कवि, लेखक के रूप में कार्य करने के साथ ही वे राजस्थान कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष भी रहीं हैं। इसी साल पूजा करते समय कपड़ों में आग लगने से मौत हो गई।

अबरार अहमद आरयू में वाणिज्य सरकार में शिक्षण कार्य करवाया। बाद में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री रहे। प्रो. सांवरलाल जाट आरयू में वाणिज्य संकाय में प्रोफेसर, राज्य और केन्द्र सरकार में मंत्री रहे हैं। वे जनता परिवार से भाजपा में शामिल हुए थे। राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। हीरालाल शास्त्री आजादी के संघर्ष के यौद्धा होने के साथ ही राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बने। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निवाई में अपनी पुत्री की स्मृति में ‘शांताबाई शिक्षा कुटीर’ की स्थापना की, जो बाद में वनस्थली विद्यापीठ के रूप में पहचाना गया।

विद्यापीठ को देखकर पं. नेहरू ने कहा था कि यदि मेरा दूसरा जन्म होता है तो एक लड़की के रूप में हो और मेरी पढ़ाई वनस्थली विद्यापीठ में हो।

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