बिहार विधानसभा चुनाव के बीच महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने मुस्लिम बहुल जिलों में रैलियों के दौरान एक बड़ा बयान दिया। 26 अक्टूबर की रैली में उन्होंने कहा कि अगर इंडिया ब्लॉक की सरकार बिहार में बनी तो वे वक्फ (संशोधन) अधिनियम को पूरी तरह समाप्त कर देंगे, सरल शब्दों में उन्होंने कहा, “वक्फ कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे।” तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा और कहा कि वे और उनकी पार्टी सांप्रदायिक ताकतों का साथ दे रही है।
उनकी यह बात सियासी बहस छेड़ रही है और विपक्षी दलों ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी का चुनावी भाषण और आरोप तेजस्वी यादव ने कटिहार, किशनगंज और अररिया में हुए जनसभाओं में कहा कि उनके पिता लालू प्रसाद कभी सांप्रदायिक ताकतों से समझौता नहीं करते थे, जबकि उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और भाजपा ने सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने भाजपा पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि उसकी नीतियों से राज्य और देश में नफ़रत फैली है।
तेजस्वी ने वक्फ कानून के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि यदि सत्ता मिली तो इस कानून को खत्म कर दिया जाएगा। उनके ये बयान चुनावी माहौल और भी गरम कर रहे हैं। वक्फ कानून पर विवाद और विपक्ष की दलीलें वक्फ (संशोधन) अधिनियम के समर्थन में सरकारों का कहना है कि यह समुदाय में पिछड़े मुसलमानों और महिलाओं के अधिकारों व पारदर्शिता के लिए जरूरी है। वहीं तेजस्वी और उनके सहयोगियों का तर्क है कि यह कानून समुदाय के हित में नहीं है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
विपक्षी बयान और दावे के बीच यह सियासी टकराव बन गया है। कानून पर इतनी बढ़ती बहस से मतदाताओं में भी चिंता और चर्चा का माहौल बन गया है। मोहम्मद कारी सोहैब के बयान से बढ़ा विवाद एक और विवादजनक मोड़ पर राजद के एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब ने 25 अक्टूबर को कहा था कि अगर तेजस्वी सरकार बने तो वक्फ बिल समेत कुछ बिल फाड़ दिए जाएंगे। इस जुबानी बयान ने विपक्ष में तीखी आलोचना और सवाल खड़े कर दिए कि क्या कोई राज्य सरकार केंद्र के कानूनों को ऐसे बदल सकती है।
राजनीतिक विरोधियों ने यह भी पूछा कि यह कदम संवैधानिक और कानूनी रूप से कैसे संभव होगा। अब ये बयान भी चुनावी बहस का हिस्सा बन चुके हैं।


