न्यायिक सुधारों की जरूरत न्यायिक अधीनता के लिए लबादा नहीं हो सकती : कांग्रेस

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 17 जनवरी ()। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री, कानून मंत्री और अन्य संवैधानिक अधिकारी जानबूझकर एक साजिश के तहत न्यायपालिका की अखंडता और स्वतंत्रता पर हमला कर रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा, उनका स्पष्ट उद्देश्य न्यायपालिका पर कब्जा करना है ताकि सरकार को अदालत द्वारा उनके मनमाने कार्यों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जा सके।

ऐसे समय में चुप रहना अधर्म के समान है, क्योंकि सभी संस्थानों पर कब्जा जमाने की कोशिश है।

उन्होंने कहा, न्यायिक सुधारों की आवश्यकता मोदी सरकार पर न्यायिक अधीनता का लबादा नहीं हो सकती। उठो और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए बोलो।

सुरजेवाला ने कहा कि मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम में निश्चित तौर पर सुधार की जरूरत है। न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता है, जो स्पष्ट है लेकिन, सत्तारूढ़ सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति और ट्रांसफर की उचित प्रक्रिया को निर्धारित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया: मोदी सरकार जानबूझकर कॉलेजियम की सिफारिशों को महीनों और सालों तक रोक रही है। खुद कानून मंत्री के अनुसार, 6 सुप्रीम कोर्ट जजों के पद और 333 हाईकोर्ट के जजों के पद दिसंबर 2022 तक खाली थे।

उन्होंने कहा कि न्यायालयों में पद रिक्त होने के बावजूद विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए अनुशंसित 21 नामों में से भाजपा सरकार ने 19 नामों को पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को वापस कर दिया है।

10 नामों को कॉलेजियम द्वारा दोहराया गया है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि जजों की नियुक्ति में देरी के लिए कौन जिम्मेदार है।

योजना यह है कि मोदी सरकार और उसके वैचारिक आकाओं की सोच के अनुकूल लोगों की नियुक्तियों और तबादलों को ठहराव पर लाने के लिए गतिरोध पैदा करना है।

सुरजेवाला ने यह बात उन खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही कि सरकार कॉलेजियम में अपना उम्मीदवार चाहती है, जो उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए नामों की सिफारिश करता है।

कांग्रेस ने पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की केशवानंद भारती के फैसले की हालिया आलोचना को न्यायपालिका पर एक असाधारण हमला करार दिया था।

पीके/एसकेपी

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times