न्यायमूर्ति मंथा के आवास के सामने पोस्टर लगाने की पुलिस रिपोर्ट में खास जानकारी नहीं

Sabal Singh Bhati
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कोलकाता, 8 फरवरी ()। कोलकाता पुलिस ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा के आवास के सामने बदनाम करने वाले पोस्टर लगाने पर अपनी रिपोर्ट अदालत की तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ को सौंप दी।

हालांकि, जस्टिस टी.एस. शिवगणनम, इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी और चितरंजन दाश की विशेष पीठ ने रिपोर्ट पर नाराजगी जताई क्योंकि इसमें उन संभावित के बारे में विशिष्ट जानकारी नहीं थी जो पोस्टर लगाने के पीछे थे।

रिपोर्ट उस प्रिंटिंग प्रेस को भी निर्दिष्ट नहीं कर सकी जहां से ये पोस्टर छपवाए गए थे। यह देखते हुए कि पुलिस को मामले की जांच में अधिक सक्रिय होना चाहिए था, पीठ ने पुलिस को इस संबंध में एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय दिया।

पुलिस ने रिपोर्ट में पोस्टर लगाने के मामले में छह लोगों को संभावित अपराधियों के रूप में नामजद किया है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि पुलिस ने सात स्थानों से सीसीटीवी फुटेज एकत्र किए हैं और 39 प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों से पूछताछ की है। हालांकि पोस्टरों को छापने में इस्तेमाल होने वाले कागज और स्याही को केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेज दिया गया, लेकिन बाद में दावा किया गया है कि इस तरह के परीक्षण करने के लिए उसके पास मशीन नहीं है।

जस्टिस मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि पोस्टर लगाने के पीछे अपराधियों की पहचान करना और उस प्रिंटिंग प्रेस की पहचान करना बेहद जरूरी है जहां पोस्टर छपे थे। वहीं पुलिस रिपोर्ट में न्यायमूर्ति मंथा की अदालत के सामने हंगामा करने वाले अधिवक्ताओं की शिनाख्त के बारे में चुप्पी साधी रही। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोई स्पष्ट सीसीटीवी फुटेज नहीं था जिससे अपराधियों की पहचान की जा सके। न्यायमूर्ति शिवगणनम ने कहा कि हंगामे के लिए जिम्मेदार अधिवक्ताओं को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए आगे आना चाहिए।

न्यायमूर्ति शिवगणनम ने कहा- यह उन लोगों का इशारा नहीं हो सकता है जो अपने विरोध के अधिकार के बारे में काफी मुखर हैं। बार एसोसिएशन को निश्चित रूप से विशिष्ट मुद्दों पर विरोध करने का अधिकार है। लेकिन इस मामले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश का अपमान किया गया है। लोक अभियोजकों का एक वर्ग अभी भी न्यायमूर्ति मंथा की अदालत में पेश होने से इनकार क्यों कर रहा है? यह अच्छी प्रवृत्ति नहीं है।

केसी/

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times