माघ मेला में धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में तीन गिरफ्तार

Sabal Singh Bhati
3 Min Read

प्रयागराज, 18 जनवरी ()। प्रयागराज पुलिस ने एक मदरसा शिक्षक सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सालाना माघ मेला में कथित तौर पर धर्म परिवर्तन रैकेट का हिस्सा थे।

गिरफ्तार किए गए लोगों में से दो ने कुछ समय पहले इस्लाम कबूल किया था और माघ मेले में धर्म परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के मकसद से संदिग्ध किताबें और पर्चे बेचते और बांटते पाए गए थे।

एडीसीपी (अपराध) सतीश चंद्र ने कहा, आरोपियों ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और अस्सी घाट, प्रयागराज के हनुमान मंदिर सहित अन्य हिंदू धार्मिक स्थलों पर भी आपत्तिजनक किताबें बांटी हैं।

मुख्य आरोपी महमूद हसन गाजी 5,000 रुपए के लिए युवाओं को काम पर रखता था। गिरफ्तारी के बाद, आरोपियों ने पुलिस को सूचित किया कि वे उन लोगों की तस्वीरें, मोबाइल नंबर और अन्य विवरण लेते थे, जिन्हें उन्होंने वितरण के लिए किताबें दी थीं।

भाजपा के एक सांसद द्वारा मेला क्षेत्र में आपत्तिजनक साहित्य बांटे जाने के बारे में ट्वीट करने के बाद गिरफ्तारियां हुईं, जिसके बाद पुलिस ने दो युवकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।

एडीसीपी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में महमूद हसन गाजी, मोहम्मद मोनीश उर्फ आशीष कुमार गुप्ता और समीर उर्फ नरेश कुमार सरोज शामिल हैं।

पुलिस का दावा है कि पूछताछ के दौरान गाजी ने कबूल किया कि उसे धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी फंडिंग मिलती थी।

पुलिस ने कहा, उसे ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर विदेशी फंडिंग मिली थी।

पुलिस ने दावा किया कि उनके कब्जे से 204 संदिग्ध इस्लामी किताबें, 3 मोबाइल, 4 आधार कार्ड, 2600 रुपए नकद और एक डायरी बरामद की गई है।

मुख्य आरोपी महमूद हसन ने खुलासा किया कि वह बज्म-ए-पैगाम-ए-बेहदानियत का अध्यक्ष था और पुरामुफ्ती के मारियाडीह गांव में मदरसा इस्लामिया हिमदादिया में शिक्षक था।

एडीसीपी ने आगे कहा, महमूद हसन किताबें और पर्चे छापते थे, जिनमें इस्लाम को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता था, जबकि हिंदू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती थीं। महमूद द्वारा संकलित और मुद्रित कुछ पुस्तकों ने वैदिक भजनों और श्लोक की गलत व्याख्या और अर्थ प्रस्तुत किया।

गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि के युवाओं को हिंदू धार्मिक स्थलों पर किताबें और पर्चे बांटने का लालच दिया गया। सामग्री बांटने के पीछे मकसद धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देना था। एडीसीपी ने कहा कि कमजोर वर्ग के लोग इनका निशाना थे।

एचएमए

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times