कोटा। बाघों में इनब्रीडिंग एक गंभीर समस्या है, जिससे उनके जीन पूल में कमी आ रही है और प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप शावक कमजोर पैदा हो रहे हैं। लेकिन अब कोटा के मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व की स्थिति में सुधार होगा। वन विभाग और एनटीसीए से इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन की अनुमति मिलने के बाद मध्यप्रदेश से दो बाघिन लाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
इन दोनों टाइगर रिजर्व में बाघिन आने से न केवल इनब्रिडिंग की समस्या समाप्त होगी, बल्कि जीन पूल में सुधार होने से बाघों की नस्ल भी पहले से अधिक मजबूत होगी। दरअसल, इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन को लेकर मध्यप्रदेश के माधव टाइगर रिजर्व में मुकुंदरा और रामगढ़ के अधिकारियों को दो दिन का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में वाइल्ड लाइफ सीसीएफ सुगनाराम जाट और मुकुंदरा डीएफओ मूथू एस ने भाग लिया। वन अधिकारियों को बाघिन के स्थानांतरण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों और आवश्यक एहतियात उपायों की जानकारी दी गई।
उल्लेखनीय है कि दैनिक नवज्योति ने इनब्रिडिंग के नुकसान पर पहले ही खबर प्रकाशित कर वन प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया था। इसके बाद वन्यजीव प्रेमियों ने इंटर स्टेट बाघ ट्रांसलोकेशन की मांग उठाई। अंततः लंबे संघर्ष और इंतजार के बाद मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से बाघिन लाने का रास्ता साफ हुआ। नवम्बर के पहले सप्ताह में बाघिन लाने की योजना है। सीसीएफ जाट ने बताया कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से दो चरणों में बाघिन लाई जानी हैं। पहले चरण में नवम्बर के पहले सप्ताह में मध्यप्रदेश से एक-एक बाघिन मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व में लाई जाएगी।
इसे मुकुंदरा की राउंठा रेंज में बनने वाले एनक्लोजर में शिफ्ट कर सॉफ्ट रिलीज किया जाएगा। इसके बाद इसे खुले जंगल में हार्ड रिलीज किया जाएगा। इसी माह में एमटी-7 की हार्ड रिलीज का निर्णय लिया जाएगा। बायोलॉजिकल पार्क से गत वर्ष दिसम्बर में रिवाइल्डिंग के लिए मुकुंदरा में शिफ्ट की गई बाघिन एमटी-7 को खुले जंगल में छोड़े जाने का निर्णय इसी माह में होगा। क्योंकि, अक्टूबर में डब्ल्यूआईआई की टीम मुकुंदरा आएगी, जो बाघिन के व्यवहार, शिकार और फिजिकल वेरिफिकेशन कर हार्ड रिलीज पर रिपोर्ट देगी। इसके आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
इनब्रीडिंग से जुड़ी प्रमुख समस्याएं जीन पूल का कमजोर होना है। प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में अधिकांश बाघ रणथम्भौर से ही शिफ्ट किए गए हैं, जिससे इनब्रीडिंग बढ़ रही है। प्रजनन क्षमता में गिरावट भी एक समस्या है। इनब्रीडिंग के कारण बाघों की प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। शावकों की घटती उम्र और स्वास्थ्य भी चिंता का विषय है। बायोलॉजिस्ट्स के अनुसार, नए पैदा होने वाले शावक कमजोर और बीमार हो रहे हैं, जिससे उनकी उम्र में गिरावट देखी जा रही है। बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
इनब्रीडिंग बोन ट्यूमर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है, जो बाघों के लिए जानलेवा हो सकती हैं। बाघों की ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण भी दिया गया है। संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक सुगनाराम जाट ने बताया कि बाघ स्थानांतरण कार्यक्रम के तहत मध्यप्रदेश से मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघिन शिफ्ट की जानी है। इसके लिए 28 और 29 सितम्बर को मध्यप्रदेश के माधव टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण दिया गया। इसमें बाघों की ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग के संबंध में जानकारी दी गई।
इनब्रीडिंग से निपटने के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच बाघों के आदान-प्रदान की अनुमति मिली है, जो एक सकारात्मक कदम है। अब मध्यप्रदेश से बाघिन लाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। माधव टाइगर रिजर्व में वन अधिकारियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया गया है। वन अधिकारियों को बाघ ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग की तकनीक सिखाई गई है।