छग में बाघिन को पहली बार लगाई गई रेडियो कॉलर

Sabal SIngh Bhati
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रायपुर, 30 अप्रैल ()। छत्तीसगढ़ में बाघ संरक्षण के प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में सूरजपुर वनमण्डल से रेस्क्यू की गई मादा बाघिन को अचानकमार टाईगर रिजर्व में छोड़ा गया है। इस बाघिन को रेडियो कॉलर लगाई गई है। राज्य में पहली बार किसी बाघ को यह रेडियो कॉलर लगाई गई है ।

राज्य में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा प्रदेश में वन्यप्राणियों के संरक्षण सहित वनों के विकास के लिए लगातार कार्य किये जा रहे हैं। इस कड़ी में सूरजपुर वनमण्डल से रेस्क्यू कर लाई गई बाघिन को पूर्णत: स्वस्थ्य होने के पश्चात राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण की स्थापित मानक प्रचालन प्रक्रिया के तहत अचानकमार टायगर रिजर्व के उपयुक्त रहवास में छोड़ा गया है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वनमंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देश पर अचानकमार टाईगर रिजर्व में बाघों की जनसंख्या में वृद्धि किये जाने हेतु विशेष प्रयास जारी हैं।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर कुमार अग्रवाल ने बताया कि अचानकमार टाईगर रिजर्व में निकटस्थ राज्य मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के टायगर रिजर्व से दो मादा एवं एक नर बाघ को लाने की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच सूरजपुर वनमण्डल से रेस्क्यू की गई मादा बाघिन को अचानकमार टाईगर रिजर्व में छोड़ा जाना एक सुखद संयोग है। मानक प्रचालन प्रक्रिया के अनुसार वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम द्वारा बाघिन को रेडियो कॉलर लगाया गया एवं तत्पश्चात मादा बाघिन को उचित रहवास में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया।

प्राकृतिक रहवास में मुक्त किये जाने के पश्चात आगामी एक माह तक बाघिन के मूवमेंट का पता लगाने के लिए उपयुक्त निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है। इस हेतु मैदानी अमले को पन्ना टाईगर रिजर्व में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के दो रिसर्च स्कॉलर एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम भी विशेष रूप से तैनात की गई है। इस मादा बाघिन के अचानकमार में स्थापित होने से अचानकमार में बाघों की संख्या में वृद्धि होने के लिए विभाग आशान्वित है।

एसएनपी/

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