रत्न शास्त्र में कुछ रत्नों का विशेष महत्व है। इनमें से एक पुखराज है, जो गुरु ग्रह से संबंधित है। इसे धारण करने से पहले ज्योतिषी की सलाह लेना आवश्यक है, क्योंकि गलत धारण करने पर नुकसान हो सकता है। पुखराज को धारण करते समय सही मंत्र का जाप करना भी जरूरी है। पुखराज को धारण करने का सही तरीका यह है कि इसे गुरु ग्रह की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए रात में पहना जाए। सही राशि के व्यक्ति इसे सही नियमों के साथ धारण कर शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
यह रत्न व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाने में मदद करता है। पुखराज को धारण करने से पहले इसका शुद्धिकरण करना आवश्यक है। इसे गंगाजल, तुलसी, दूध और शहद के पानी में डुबोकर रखना चाहिए। इस दौरान ॐ बृ बृहस्पति नमः का जाप 108 बार करना चाहिए। इसके अलावा, ॐ ग्रां ग्रीन ग्रो गुरवे नमः का जाप भी किया जा सकता है। इसे दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करें। इसे हमेशा गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए और सोने में जड़वाना चाहिए। पुखराज धारण करना सभी के लिए संभव नहीं है।
रत्न शास्त्र के अनुसार, मेष, धनु, कर्क, मीन और वृश्चिक राशि के लोगों के लिए यह शुभ माना गया है। इन राशियों की कुंडली में गुरु ग्रह अच्छे परिणाम देता है। पुखराज पहनने से व्यक्ति की जिंदगी में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। हालांकि, कुछ राशियों के लिए पुखराज उल्टा काम कर सकता है। मिथुन, वृषभ, तुला, कन्या, मकर और कुंभ राशि के लोगों को इसे नहीं पहनना चाहिए। अगर इन राशियों में गुरु की स्थिति कमजोर है, तो कुंडली दिखाकर इसे धारण किया जा सकता है। बिना ज्योतिष की सलाह के इसे धारण न करें।


