जयपुर। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के तहत संरक्षित 34 स्मारकों और संग्रहालयों में देशी और विदेशी पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या देखी गई है। अगस्त 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के विभिन्न किलों, स्मारकों और संग्रहालयों से कुल 4 करोड़ 57 लाख 10 हजार 140 रुपए की आय हुई। इसमें से 3 करोड़ 78 लाख 10 हजार 265 रुपए भारतीय पर्यटकों से और 78 लाख 99 हजार 875 रुपए विदेशी पर्यटकों से प्राप्त हुए। इस माह के दौरान देशी पर्यटकों की कुल संख्या 7,53,051 और विदेशी पर्यटकों की संख्या 25,000 रही।
इन पर्यटकों ने प्रदेश के किलों, महलों और संग्रहालयों का दौरा किया। हवामहल और जंतर-मंतर विशेष रूप से लोकप्रिय रहे। आंकड़ों के अनुसार, अगस्त माह में प्रदेश में पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों और संग्रहालयों में 25 हजार विदेशी पर्यटक आए। इनमें से आमेर में 10,943, जंतर मंतर में 8,180 और हवामहल में 2,357 पर्यटक शामिल थे। आमेर महल आय के मामले में शीर्ष पर रहा, जहां अगस्त में 1.68 लाख से अधिक पर्यटक आए, जिससे 1 करोड़ 81 लाख 07 हजार 970 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।
हवा महल ने भी 1.71 लाख पर्यटकों से 83 लाख 99 हजार 860 रुपए की आय की। जंतर-मंतर में 91 हजार 438 पर्यटकों से 55 लाख 47 हजार 890 रुपए का राजस्व मिला। नाहरगढ़ दुर्ग में एक लाख 16 हजार 318 पर्यटकों से 56 लाख 28 हजार 280 रुपए की आय हुई। जयपुर के अलावा चित्तौड़गढ़ में पर्यटकों की संख्या अच्छी रही।
अन्य जिलों में अजमेर संग्रहालय में 5,857, अलवर संग्रहालय में 7,016, भरतपुर संग्रहालय में 9,620, बारां में 50, उदयपुर में 532, आहड़ (उदयपुर) में 931, चित्तौड़गढ़ में 85,706, बीकानेर में 500, जैसलमेर में 169, पटवा हवेली, जैसलमेर में 1,046, मंडोर (जोधपुर) में 9,481 पर्यटक आए। हालांकि, बारां संग्रहालय, डूंगरपुर संग्रहालय, जैसलमेर संग्रहालय, पाली, माउंटआबू, कोटा, झालावाड़, सीकर सहित अन्य संग्रहालयों में पर्यटकों की संख्या कम रही। विभाग के निदेशक डॉ.
पंकज धरेन्द्र ने कहा कि पिछले महीने 7,53,051 भारतीय और 25,000 विदेशी पर्यटकों ने विभाग के संरक्षित स्मारक देखे, जिससे 4 करोड़ 57 लाख 10 हजार 40 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। जयपुर के स्मारकों में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन टूरिज्म स्पॉट्स पर सुविधाओं का विस्तार करने की आवश्यकता है। पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक ने कहा कि पर्यटन सीजन में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की संभावना को देखते हुए विभागों को सक्रियता से कार्य करना चाहिए।


