ट्रेन में शराब ले जाने के नियम और सावधानियाँ

भारतीय रेलवे विश्व की सबसे बड़ी रेल नेटवर्कों में से एक है, जिससे हर दिन लाखों यात्रियों सुरक्षित अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। आज की तारीख में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेन चलाई जा रही है। प्लेटफॉर्म का नवीनीकरण किया जा रहा है। बता दें कि भारतीय रेलवे को 4 जोन में बांटा गया है। यह लोगों के लिए सबसे आरामदायक और सस्ता माध्यम माना जाता है, जिसके जरिए लोग ध्यान से दूसरे स्थान तक बहुत ही कम पैसों में भी ट्रेवल कर लेते हैं।

लोकल ट्रेन के अलावा शताब्दी, दुरंतो, राजधानी, वंदे भारत, बुलेट ट्रेन, तेजस एक्सप्रेस, गरीब रथ, सुपरफास्ट, आदि चलाई जाती है। इसका किराया ट्रेन के हिसाब से तय किया जाता है। सफर के दौरान ट्रेन कई स्टेशनों पर रुकती हुई अपने गंतव्य तक पहुंचती है। अपने गंतव्य तक पहुंचने के दौरान यह कई राज्यों, शहरों, टनल, पुल, नदी, जंगलों से होकर गुजरती है। इस दौरान ध्यान देने योग्य कई सारी चीजें होती हैं, जो आपको आकर्षित करती है।

हालांकि, बहुत बार लोग इंटरनेट पर इन अनोखी चीजों को जानने की कोशिश जरूर करते हैं, लेकिन कई बार लोग उस समय सोचकर इसे स्किप कर देते हैं। इन सबके बीच एक सवाल कई यात्रियों के मन में आता है, “क्या ट्रेन में शराब ले जाना मना है या मंजूर?” जवाब सुनने में जितना आसान लगता है, हकीकत में उतना सीधा नहीं है। यह बात रेलवे एक्ट, राज्य कानूनों और परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

भारत में रेलवे एक्ट, 1989 में शराब को लेकर कोई सीधा प्रतिबंध नहीं बताया गया है, लेकिन सेक्शन 165 रेलवे अधिकारियों को यह अधिकार देता है कि वे ट्रेन या स्टेशन परिसर में किसी भी संदिग्ध या गैर-कानूनी वस्तु की जांच और जब्ती कर सकें। इसी प्रावधान के तहत, यदि कोई व्यक्ति शराब लेकर यात्रा कर रहा है और यह रेलवे नियमों या राज्य कानूनों का उल्लंघन करती है, तो अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं।

साधारण भाषा में कहें तो भारतीय रेल में शराब ले जाना वैध तभी माना जाता है जब वह राज्य के कानूनों के अनुरूप हो और उसका उपयोग व्यक्तिगत रूप से किया जाए। अगर आपकी ट्रेन किसी ड्राई स्टेट यानी शराबबंदी वाले राज्य से होकर गुजरती है, तो यह नियम बदल जाता है। भारत के कुछ राज्यों ने पूरी तरह शराबबंदी लागू कर रखी है, जिनमें गुजरात, बिहार, नागालैंड और लक्षद्वीप शामिल है। इन राज्यों में न तो शराब बेची जा सकती है, न खरीदी जा सकती है और न ही इसका ट्रांसपोर्टेशन किया जा सकता है।

अगर आपकी ट्रेन ऐसे किसी राज्य से होकर गुजरती है या वहीं खत्म होती है, तो आपके पास सीलबंद शराब की बोतल होना भी गैर-कानूनी माना जाएगा। उदाहरण के तौर पर अगर आप दिल्ली से पटना ट्रेन में सफर कर रहे हैं और आपके बैग में शराब की बोतल है, तो बिहार की सीमा में प्रवेश करते ही यह अपराध की श्रेणी में आ जाएगा।

अब बात आती है मात्रा की… देशभर में शराब की कोई एक समान लिमिट तय नहीं की गई है, लेकिन सामान्य तौर पर, कानूनी जानकारों और एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारी यह मानते हैं कि व्यक्तिगत उपयोग के लिए लगभग 2 लीटर तक शराब ले जाना सुरक्षित सीमा मानी जा सकती है। हालांकि, इस शर्त के साथ कि शराब की बोतल पूरी तरह सीलबंद हो। वह बेचने या बांटने के लिए नहीं, बल्कि निजी उपयोग के लिए हो। खरीद की बिल या रसीद आपके पास मौजूद हो।

अगर बोतल खुली हुई है या खरीद का सबूत नहीं है, तो रेलवे अधिकारी उसे जब्त कर सकते हैं और आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यात्रा के दौरान कई लोग सोचते हैं कि अगर शराब ले जाना गलत नहीं, तो थोड़ा पी लेने में क्या नुकसान है, लेकिन यहां नियम बेहद सख्त हैं। रेलवे एक्ट की धारा 145 और भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के तहत, ट्रेन या रेलवे परिसर में शराब पीना, नशे में होना या किसी भी तरह का हंगामा करना दंडनीय अपराध है।

ऐसा करते पकड़े जाने पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना या 6 महीने की जेल हो सकती है। साथ ही रेलवे अधिकारी आपको यात्रा से रोक सकते हैं या अगले स्टेशन पर उतार सकते हैं। अगर कोई यात्री शराब लेकर किसी शराबबंदी वाले राज्य में प्रवेश करता है या वहां से गुजरता है, तो यह रेलवे नियमों के साथ-साथ वह राज्य के एक्साइज कानूनों का भी उल्लंघन होता है। ऐसे में व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज हो सकता है, भारी जुर्माना, शराब की जब्ती और कभी-कभी गिरफ्तारी तक की नौबत आ सकती है।

कई मामलों में देखा गया है कि यात्रियों ने अज्ञानता में शराब साथ रख ली, लेकिन राज्य की सीमा में प्रवेश करते ही पुलिस ने केस दर्ज कर लिया।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
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