उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट में बदलाव: 5 किलोमीटर अंडरग्राउंड और लागत में वृद्धि

इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो प्रोजेक्ट अब तेजी पकड़ रहा है। इंदौर में रोबोट चौराहे तक मेट्रो के पिलर तैयार हो चुके हैं, लेकिन इसके आगे मेट्रो अंडर ग्राउंड होगी या ओवरहेड, इस पर अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। पहले 47 किलोमीटर के हिस्से में पूरी मेट्रो ओवरहेड बनने की योजना थी, लेकिन मुख्यमंत्री के सुझाव के बाद उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज से मेट्रो अंडर ग्राउंड की जाएगी। नई दिल्ली की दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने इंदौर-उज्जैन रूट की प्रारंभिक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है।

इसे नवंबर के पहले सप्ताह में अधिकारियों के सामने पेश किया जाएगा। इसके बाद ही इसे राज्य शासन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उज्जैन में पांच किलोमीटर अंडर ग्राउंड मेट्रो जानकारों के मुताबिक, मुख्यमंत्री के सुझाव पर उज्जैन में पांच किलोमीटर का अंडर ग्राउंड हिस्सा जोड़ा गया है। यह हिस्सा उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज से शुरू होकर रेलवे स्टेशन के नीचे होते हुए आगर रोड तक ओवरहेड में आएगा। इस बदलाव के कारण परियोजना की लागत में करीब 1500 करोड़ रुपये का इजाफा होगा।

पहले 47 किलोमीटर के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का अनुमान था, अब यह आंकड़ा बढ़कर 11,500 करोड़ रुपये हो जाएगा। इंदौर-पीथमपुर मेट्रो की डीपीआर भी जल्द तैयार। इंदौर-पीथमपुर रूट की योजना भी राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी है। लगभग 40 किलोमीटर लंबी इस मेट्रो के लिए डीएमआरसी ने फिजिब्लिटी रिपोर्ट तैयार कर ली है। इंदौर-पीथमपुर रूट की डीपीआर अगले तीन माह में तैयार होगी और इससे इंदौर व आसपास के यात्रियों को बड़ा लाभ मिलेगा।

अंडर ग्राउंड हिस्सों की उलझन इंदौर में गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक अंडर ग्राउंड मेट्रो बनाने की योजना पर अभी फैसला नहीं हुआ है। बंगाली चौराहे से रीगल चौराहे तक मेट्रो अंडर ग्राउंड होगी या ओवरहेड, इस पर उलझन बनी हुई है। 30 अक्टूबर को इस हिस्से पर नगरिय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मुख्य सचिव और मेट्रो अधिकारियों की बैठक होगी। इस बैठक में निर्णय लेने के बाद मेट्रो का अंडर ग्राउंड या ओवरहेड हिस्सा अंतिम रूप लेगा। यदि अंडर ग्राउंड निर्णय लिया गया, तो इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च राज्य शासन को वहन करने होंगे।

परियोजना का महत्व और यात्रियों के लिए फायदे इंदौर-उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट न केवल यातायात सुविधा को आसान बनाएगा, बल्कि शहरों के बीच यात्रा समय को भी कम करेगा। अंडर ग्राउंड मेट्रो से शहर की भीड़ और सड़क पर ट्रैफिक दबाव कम होगा। इसके अलावा, मेट्रो के अंडर ग्राउंड हिस्से से पर्यावरण और नगर सौंदर्य भी प्रभावित नहीं होगा। ओवरहेड मेट्रो की तुलना में अंडर ग्राउंड मेट्रो शहर की वास्तुकला और स्थानीय बाजारों को सुरक्षित रखेगी।

लागत, समय और चुनौतियां नई योजना से लागत बढ़ी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लागत में वृद्धि के बावजूद अंडर ग्राउंड मेट्रो लंबे समय में ज्यादा फायदे वाली साबित होगी। डीएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह में डीपीआर पेश होने के बाद परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। अगले तीन-चार सालों में मेट्रो पूरी तरह तैयार होने की संभावना है।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
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