उत्तराखंड विधानसभा के सत्र में सोमवार को कांग्रेस और सत्तारूढ़ पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। कांग्रेस विधायक आदेश चौहान ने राज्य में कानून व्यवस्था और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने सदन में आरोप लगाया कि सरकार का अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है और वे विपक्ष की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। उनके बोलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल खड़े होकर जवाब देना शुरू किया। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट कहा कि किसी भी अधिकारी को कभी यह नहीं कहा गया है कि विपक्ष की बात नहीं सुननी है।
उन्होंने कहा, “हमने सभी अधिकारियों से कहा है कि जायज, विधि सम्मत और संवैधानिक बातें जरूर सुनी जाएं। हमारी सरकार संवाद और संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास रखती है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पारदर्शिता और विधि के शासन पर आधारित है और इस दिशा में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कांग्रेस विधायक आदेश चौहान ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार धर्म विशेष और वर्ग विशेष को डरा-धमका रही है। इस पर मुख्यमंत्री धामी ने कड़ा जवाब देते हुए कहा, “हम जो भी कार्य करते हैं, वह संविधान और कानून के अनुसार होता है।
उत्तराखंड सरकार का हर निर्णय विधि व्यवस्था पर आधारित है। किसी धर्म या समुदाय को भयभीत करना हमारा उद्देश्य नहीं है। सरकार का मकसद सिर्फ न्याय और सुव्यवस्था सुनिश्चित करना है।” मुख्यमंत्री ने अतिक्रमण के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “जो लोग सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं, उन्हें कानून के तहत हटाया गया है और यह अभियान आगे भी जारी रहेगा। देवभूमि उत्तराखंड में कोई लाल, हरी, पीली या नीली चादर डालकर जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता।
कानून सबके लिए समान है और सरकार इस सिद्धांत पर ही काम कर रही है।” धामी ने विपक्ष को आश्वस्त किया कि सरकार किसी भी वर्ग के प्रति भेदभाव नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में विधि व्यवस्था बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है और जो भी इसे चुनौती देगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे पर हुई बहस ने सदन का माहौल गर्मा दिया, लेकिन मुख्यमंत्री के जवाब के बाद कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया।


