रतनगढ़ में वसुंधरा राजे के स्वागत में कार्यकर्ताओं का उत्साह

Tina Chouhan

राजनीति में नेताओं को जयकार सुनने का शौक पुराना है। मंच पर आते ही अपने समर्थकों की आवाज में जब “जय-जयकार” गूंज उठती है तो नेता भी गदगद हो जाते हैं। लेकिन रतनगढ़, राजस्थान में बीते दिनों कुछ ऐसा हुआ जिसने माहौल को और भी रोचक बना दिया। दरअसल, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बीकानेर से लौट रही थीं। रतनगढ़ पहुंचने पर कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए पहले से ही लाइन लगाकर खड़े थे। हाथों में फूल, चेहरों पर उत्साह और जुबान पर नारे।

भीड़ में से एक कार्यकर्ता अचानक पूरे जोश में चीख पड़ा— “हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो… वसुंधरा राजे जैसा हो…!” भीड़ ने भी सुर मिलाया और नारे गूंजने लगे। लेकिन इस बीच सबसे दिलचस्प मोड़ आया। वहीं मौजूद वसुंधरा राजे ने नारे सुनते ही मुस्कुराते हुए कार्यकर्ता को रोका और कहा— “कैसा नहीं… कैसी हो, बोलो।” भीड़ एक पल को चौंकी, फिर ठहाके गूंज उठे। कार्यकर्ता को भी अपनी गलती का एहसास हुआ।

तुरंत ही उन्होंने अपनी आवाज ऊंची की और पूरे जोश से नया नारा लगाया— “हमारी नेता कैसी हो… वसुंधरा राजे जैसी हो…!” अबकी बार जयकार और जोरदार थी, और राजे भी इस भाषाई सुधार पर खिलखिला उठीं।

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