गोड्डा में कोल प्रोजेक्ट पर जंग: ग्रामीणों ने तीर-धनुष से हमला किया, पुलिस ने लाठियां चलाईं, एसडीपीओ सहित डेढ़ दर्जन जख्मी

Kheem Singh Bhati
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19 जनवरी। गोड्डा जिले में ईसीएल (इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की कोल परियोजना के लिए जमीन सीमांकन के दौरान गुरुवार को सुरक्षा बलों और स्थानीय आदिवासियों के बीच टकराव ने हिंसक रूप ले लिया। आदिवासियों ने जहां तीर-धनुष और पत्थरों से हमला कर दिया, वहीं सुरक्षा बलों ने उन पर लाठीचार्ज किया। भीड़ को तितर-बितर वाटर कैनन और टीयर गैस का इस्तेमाल किया गया। हवाई फायरिंग की भी सूचना है। इस संघर्ष में महगामा के एसडीपीओ शिवशंकर तिवारी सहित सुरक्षा बलों के पांच जवान और लगभग एक दर्जन ग्रामीण घायल हुए हैं। एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों को हिरासत में भी लिया गया है।

संघर्ष, तनाव और ग्रामीणों की नारेबाजी के बीच ईसीएल अफसरों ने तालझारी गांव में अधिग्रहित जमीन पर बुलडोजर और जेसीबी की मदद से जमीन का सीमांकन और समतलीकरण शुरू करा दिया है। गोड्डा के डीसी जिशान कमर और एसपी नाथू सिंह मीना भी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं।

बुधवार को ईसीएल और प्रशासन के अफसरों की टीम पुलिस और सुरक्षा बल के एक हजार जवानों के साथ तालझारी गांव में जमीन के सीमांकन के लिए पहुंचे थे। इनके विरोध में हजारों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे परंपरागत हथियारों, लाठी-डंडों के साथ जमा हो गए। पूरा इलाका जान देंगे, जमीन नहीं देंगे और पुलिस-प्रशासन वापस जाओ के नारों से गूंजता रहा। बुधवार को ही पूरे इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू कर दी गयी थी। प्रशासन के अधिकारियों ने प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों से वार्ता कर उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला।

ईसीएल ने अपनी राजमहल कोल परियोजना के विस्तार के लिए बीते पांच सालों के दौरान बोआरीजार प्रखंड के तालझारी गांव की 125 एकड़ जमीन अधिग्रहित की है। वर्ष 2018 से ही वहां ईसीएल की ओर से खदान विस्तार की प्रक्रिया शुरू करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तालझारी के रैयतों सहित आसपास के गांवों के कड़े विरोध के कारण अब तक वहां कोयला खनन शुरू नहीं कराया जा सका है। जमीन के सीमांकन की कोशिश के दौरान अब तक आधा दर्जन से भी अधिक बार ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव हो चुका है। छह माह पूर्व तालझारी गांव में वार्ता के लिए गए ईसीएल के सीएमडी को ग्रामीणों ने बंधक भी बना लिया था। बाद में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से उन्हें ग्रामीणों के चंगुल से सकुशल मुक्त कराया गया था।

ग्रामीणों का कहना है कि वे जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे। दूसरी तरफ ईसीएल का दावा है कि यहां जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उन्हें अब तक 10 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया है। 22 रैयतों को राजमहल परियोजना में नौकरी भी दी गई है। इसके बावजूद परियोजना के विस्तार का विरोध करना ठीक नहीं है।

ईसीएल की राजमहल परियोजना के कोयले से एनटीपीसी के दो पावर प्लांट चलते हैं। कहलगांव और फरक्का प्लांट को अब मांग के अनुरूप ईसीएल कोयला आपूर्ति नहीं कर पा रही है। तालझारी में खनन शुरू होने पर ही राजमहल परियोजना का अस्तित्व बच पाएगा, लेकिन तालझारी के आदिवासी रैयतों का कहना है कि यहां से उजड़े तो लगभग 200 परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।

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