कोटा। जलदाय विभाग को हर साल करोड़ों का राजस्व वसूली का लक्ष्य मिलता है लेकिन विभाग वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक भी पूरा नहीं कर पाता। नतीजन, 40% टारगेट अधूरा रह जाता है। इसकी एक बड़ी वजह सरकारी डिपार्टमेंट है। जलदाय विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, कोटा में सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के डिपार्टमेंट को मिलाकर कुल 15.56 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है। जिले में 1.80 लाख उपभोक्ता हैं, जिन पर भी बड़ी संख्या में पुराना और नया बिल बकाया है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि सरकारी विभाग बकाया बिल जमा करवा दें तो 90% टारगेट पूरा हो सकता है। दादाबाड़ी पुलिस थाने पर 14 लाख रुपए का पानी का बिल बकाया है, जो कई वर्षों से जमा नहीं करवाया गया। किशोरपुरा पुलिस थाने पर 2 लाख रुपए बकाया है। विभाग द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बावजूद बकाया बिल जमा नहीं हुए। जिले में 6 सब डिवीजन कार्यालय हैं। प्रत्येक सब डिवीजन पर एक एईएन होता है, जिनके अधीन करीब 2-2 जेईएन होते हैं।
लेकिन वर्तमान में जेईएन के पद रिक्त होने से अधिकतर सब डिवीजन में 1-1 ही जेईएन कार्यरत हैं। ऐसे में राजस्व वसूली लक्ष्य के अनुरूप कर पाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यदि, 60% से कम वसूली होने पर उच्चाधिकारियों द्वारा प्रत्येक एईएन और जेईएन को कारण बताओ नोटिस दिया जाता है। जिले में सरकारी विभागों पर वर्तमान में 15 करोड़ 56 लाख रुपए का बिल बकाया है। इनमें केंद्रीय विभागों पर 56 लाख तथा राज्य सरकार के विभागों पर 15 करोड़ रुपए का पानी का बिल कई वर्षों से पेंडिंग है।
जानकारी के अनुसार, जिले के बड़े सरकारी अस्पतालों में बकाया पानी के बिल जमा करवाने में महाराव भीम सिंह अस्पताल अव्वल रहा है। एमबीएस का वर्तमान में मात्र 1500 रुपए का बिल बकाया है। जबकि, राजकीय जिला अस्पताल रामपुरा पर 66 हजार और जेकेलोन चिकित्सालय पर 24 हजार 178 रुपए बकाया है। जल अधिकारियों ने बताया कि कोटा जिले में कुल 1 लाख 80 हजार उपभोक्ता हैं। इनमें से अधिकतर उपभोक्ताओं पर भी बड़ी संख्या में बिल राशि बकाया है। हर दो माह में बिल भेजा जाता है, जिसे वसूलने के लिए कर्मचारी घर-घर दस्तक दे रहे हैं।
ऑनलाइन प्लेटफार्म भी उपलब्ध है। सरकारी विभागों पर करोड़ों रुपए का पानी का बिल बकाया है, जिसे वसूलने के लिए नोटिस भेज दिए गए हैं। शत-प्रतिशत वसूली के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।