शादी भारतीय समाज में केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों के मिलन और एक नई शुरुआत का प्रतीक है। इसीलिए विवाह से जुड़ी हर छोटी चीज़ का धार्मिक और वास्तु से गहरा संबंध होता है। समय के साथ और सोशल मीडिया के प्रभाव ने शादी के कार्ड को नया रूप दिया है। अब लोग पारंपरिक डिज़ाइन से हटकर दूल्हा-दुल्हन की खूबसूरत प्री-वेडिंग फोटो कार्ड पर प्रिंट करवाने लगे हैं। कुछ पंडित इसे नजर दोष और वास्तु दोष मानते हैं, जबकि कुछ इसे एक आधुनिक फैशन के रूप में देखते हैं।
कार्ड पर भगवान गणेश की फोटो छापने को लेकर भी कई मान्यताएं हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम परंपराओं, वास्तु और वास्तविकता को समझें, ताकि शादी के दिन कोई बाधा न आए और वैवाहिक जीवन सुखद हो। दूल्हा-दुल्हन की फोटो लगाना अशुभ क्यों माना जाता है? शादी के कार्ड हाथों-हाथ घूमते हैं और सैकड़ों लोगों तक पहुंचते हैं। हर किसी की नज़र सकारात्मक नहीं होती। मान्यता है कि दूल्हा-दुल्हन की तस्वीर पर नज़र दोष जल्दी लगता है, क्योंकि शादी से पहले जोड़े की ऊर्जा नाज़ुक होती है। किसी की ईर्ष्या या नकारात्मक सोच विवाह पर असर डाल सकती है।
वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि तस्वीरों में व्यक्ति की ऊर्जा बंधी होती है, और जब ये सौ-दो सौ घरों तक घूमती हैं, तो निगेटिविटी का असर हो सकता है। तस्वीर का अपमान होने की संभावना भी होती है, क्योंकि कुछ दिनों बाद कार्ड कूड़े में चले जाते हैं या जमीन पर गिर जाते हैं, जिससे दूल्हा-दुल्हन की फोटो का अपमान होता है, जो शुभ नहीं माना जाता। कई परिवारों में यह सख्त वर्जित है। शादी के कार्ड में भगवान गणेश की फोटो छापना शुभ है या अशुभ?
भारत में लगभग हर विवाह निमंत्रण पर हम भगवान गणेश, सीता-राम, विष्णु-लक्ष्मी या राधा-कृष्ण की तस्वीर देखते हैं। लोग मानते हैं कि इससे विघ्न दूर रहते हैं। लेकिन वास्तु इस पर अलग राय रखता है। कार्ड का फेंका जाना इसका सबसे बड़ा कारण है। कार्ड कुछ दिन बाद फाड़कर फेंक दिए जाते हैं या खराब हो जाते हैं, जिससे भगवान की तस्वीर का असम्मान होता है। वास्तु के अनुसार, किसी भी देवता की छवि का अपमान करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है। देवताओं की फोटो के बजाय शुभ मंत्र लिखना बेहतर होता है।
वास्तु विशेषज्ञ और ज्योतिषियों की सलाह होती है कि तस्वीरें न लगाएं, बल्कि श्री गणेशाय नमः, शुभ विवाह, शुभ मंगलम, ॐ श्री सिद्धिविनायकाय नमः जैसे शुभ मंत्र लिखें। ये मंत्र घर में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और विवाह में बाधाएं दूर करते हैं। कई मंदिर भी कार्ड पर देवताओं की फोटो छपने से मना करते हैं। कई पुजारी अब यह बात खुलकर कहने लगे हैं कि कार्ड पर देवताओं की फोटो छापना धार्मिक रूप से ठीक नहीं है। शादी के कार्ड का शुभ रंग कौन सा होता है? वास्तु और हिंदू परंपराओं में रंगों का विशेष महत्व है।
रंग ऊर्जा और भावनाओं को दर्शाते हैं, इसलिए शादी के कार्ड के लिए सही रंग चुनना बहुत ज़रूरी है। शुभ रंग लाल, पीला, केसरी/संतरी और सफेद विवाह के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं और ज्यादातर भारतीय कार्ड इन्हीं रंगों में बनते हैं। वास्तु मानता है कि गलत रंग वैवाहिक जीवन की ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है।


