भारतीय संस्कृति में हर क्रिया का एक आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक अर्थ छिपा है। चाहे भोजन करना हो, पानी पीना हो या पूजा-पाठ हर कार्य के लिए एक सही तरीका बताया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शरीर की स्थिति (खड़े, बैठे या लेटे हुए) ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित करती है। इसी वजह से कहा गया है कि महिलाओं को कुछ काम खड़े होकर नहीं करने चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से शरीर की ऊर्जा असंतुलित होती है और घर में नेगेटिविटी फैलती है।
कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि जो महिलाएं शारीरिक संतुलन और मानसिक शांति बनाए रखती हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। आइए जानते हैं वे कौन-से 5 काम हैं जो खड़े होकर करने से बचना चाहिए। खड़े होकर बालों में कंघी न करें। वास्तु शास्त्र कहता है कि महिलाओं को कभी भी खड़े होकर अपने बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से घर की लक्ष्मी नाराज़ होती हैं और आर्थिक परेशानियां बढ़ने लगती हैं।
खड़े होकर बाल संवारने से टूटे बाल ज़मीन पर इधर-उधर फैल जाते हैं, जिससे घर में नेगेटिव एनर्जी का संचार होता है। इसके अलावा, यह पति के स्वास्थ्य और करियर पर भी बुरा असर डाल सकता है। अगर आप बैठकर कंघी करती हैं तो यह न केवल शुभ माना जाता है बल्कि इससे घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ध्यान रखें कि टूटे बालों को इधर-उधर न फेंकें बल्कि उन्हें एकत्र कर किसी पेड़ के नीचे दबा दें, यह वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। खड़े होकर बड़ों को प्रणाम न करें।
भारतीय संस्कृति में बड़ों का आशीर्वाद सबसे बड़ा वरदान माना गया है, लेकिन अगर प्रणाम करने का तरीका गलत हो तो उसका पूरा फल नहीं मिलता। वास्तु के अनुसार, खड़े होकर दूर से प्रणाम करना अशुभ माना गया है। ऐसा करने से बड़ों का आशीर्वाद पूरी तरह प्राप्त नहीं होता और यह आपके अहंकार का संकेत भी बन सकता है। शास्त्रों में कहा गया है कि हमेशा झुककर या बैठकर ही प्रणाम करना चाहिए। इससे विनम्रता का भाव जागता है और बड़ों का स्नेह व आशीर्वाद जीवनभर साथ बना रहता है।
यह साधारण-सी आदत आपके घर की सकारात्मक ऊर्जा को कई गुना बढ़ा सकती है। खड़े होकर पूजा न करें। पूजा का अर्थ सिर्फ भगवान की आराधना नहीं, बल्कि मन को शुद्ध करने की प्रक्रिया है। लेकिन अगर यह क्रिया जल्दबाजी या असावधानी में की जाए, तो इसका फल अधूरा रह जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, महिलाओं को खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा का फल अधूरा रह जाता है और भगवान तक आपकी भक्ति नहीं पहुंच पाती। हमेशा बैठकर श्रद्धा और एकाग्रता के साथ पूजा करें, और आरती के समय खड़े होकर दीप जलाएं।
इससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है, घर में शांति आती है और नकारात्मकता का नाश होता है। खड़े होकर पढ़ाई न करें। कई लोगों की आदत होती है कि वे चलते-फिरते या खड़े होकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार यह आदत एकाग्रता को कमजोर करती है। जब व्यक्ति खड़े होकर पढ़ता है, तो ऊर्जा का सही प्रवाह नहीं हो पाता। इससे मन भटकता है और याद करने की क्षमता कम हो जाती है। खासकर महिलाओं को पढ़ाई के समय स्थिर बैठकर पढ़ना चाहिए। इससे मानसिक शांति मिलती है और ज्ञान की प्राप्ति भी गहरी होती है।
वास्तु मान्यता के अनुसार, बैठकर पढ़ाई करने से देवी सरस्वती की कृपा बनी रहती है। खड़े होकर स्नान न करें। स्नान केवल शरीर की सफाई का नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि का प्रतीक भी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, महिलाओं को कभी भी खड़े होकर स्नान नहीं करना चाहिए। इससे शरीर से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह समाप्त नहीं होती और मन अशांत बना रहता है। बैठकर स्नान करने से शरीर और मन दोनों की पवित्रता बनी रहती है। इससे मानसिक शांति बढ़ती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है।
पुरुषों के लिए भी यही नियम लागू होता है, स्नान हमेशा ध्यानपूर्वक और बैठकर करें। खड़े होकर खाना न खाएं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भोजन को देवता तुल्य माना गया है और इसे हमेशा आदरपूर्वक ग्रहण करना चाहिए। खड़े होकर खाना अपमानजनक माना गया है क्योंकि यह भोजन के प्रति अनादर का प्रतीक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, जब कोई व्यक्ति खड़े होकर भोजन करता है, तो उसके आसपास की सकारात्मक ऊर्जा टूट जाती है और शरीर में अस्थिरता बढ़ती है।
खासकर महिलाओं के लिए, जो परिवार की लक्ष्मी मानी जाती हैं, इस आदत से घर की सुख-शांति प्रभावित होती है। क्यों माना गया है ये नियम? वास्तु शास्त्र सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन का विज्ञान है। हर दिशा, हर स्थिति और हर क्रिया का हमारे शरीर और मन पर असर पड़ता है। खड़े होकर किए गए कार्यों में शरीर की ऊर्जा अस्थिर रहती है, जिससे कार्य अधूरे या गलत परिणाम देते हैं। जबकि बैठकर किए गए कामों में मन और शरीर दोनों का संतुलन बना रहता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
इन नियमों से मिलेगा ये लाभ। घर में बनी रहेगी सुख-शांति और समृद्धि। रिश्तों में प्रेम और सम्मान का भाव बढ़ेगा। नकारात्मकता और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। धन संबंधी रुकावटें दूर होंगी। जीवन में स्थिरता और आत्मिक शक्ति बढ़ेगी।


