जयपुर। कोविड महामारी ने न केवल फेफड़ों, बल्कि दिल की सेहत पर भी गहरा असर छोड़ा है। भारत के रजिस्ट्रार जनरल की मेडिकल सर्टिफाइड कॉज ऑफ डेथ रिपोर्ट-2022 में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जिसमें राजस्थान में कोविड के बाद दिल संबंधी मौतों में तेजी से उछाल आया है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में राजस्थान में दर्ज कुल मेडिकल सर्टिफाइड मौतों में से 24.4 प्रतिशत मौतें दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक से हुईं। यह संख्या 2013 के मुकाबले चौंकाने वाली हैं, जब केवल 18.5 प्रतिशत मौतें दिल की बीमारियों से होती थीं।
कोविड से पहले की तुलना में इन मौतों में 36 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई। साल 2022 में राज्य में 19 हजार 656 लोगों ने दिल की बीमारी से जान गंवाई, जिनमें 12 हजार 416 पुरुष और 7 हजार 240 महिलाएं थीं। इनमें से करीब 26 प्रतिशत मरीजों की अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई, जबकि 50.1 प्रतिशत मौतें पल्मोनरी सर्कुलेशन और अन्य हृदय रोगों के कारण हुईं। कोरोना के बाद से एसएमएस अस्पताल की कार्डियोलॉजी यूनिट में भी हार्ट संबंधी मामले दुगुने हो गए हैं। क्यों बढ़ रहा दिल की बीमारियों का खतरा? सीनियर कार्डियक इलेक्ट्रोफीजियोलॉजिस्ट डॉ.
राहुल सिंघल ने बताया कि कोविड संक्रमण के बाद खून में थक्के यानी थ्रोम्बोसिस और हार्ट मसल्स में सूजन यानी मायोकार्डियम इन्फ्लेमेशन की समस्या बढ़ी है। इससे कोरोनरी आर्टरी में मल्टीपल ब्लॉकेज के मामले सामने आ रहे हैं। खासतौर पर फैमिली हिस्ट्री वाले, धूम्रपान करने वाले, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की समस्या वाले मरीजों में यह खतरा ज्यादा दिखाई दे रहा है। कोरोना के डर से बढ़ी फिजिकल एक्टिविटी भी है बड़ा कारण। सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि हृदय की नसों में ब्लॉकेज रूपी प्लाक जमना कम उम्र में ही शुरू हो जाता है।
ये नसों में जगह-जगह जमता है और इससे नसों की दीवारों की अंदरूनी सतह में चिकनापन कम होता जाता है, इसमें से खून को प्रवाहित होने में घर्षण उत्पन्न होता है। कोरोना महामारी के समय जब फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो गई तो प्लाक जमने की प्रक्रिया तेज हो गई और नसों के रास्ते जगह-जगह खुरदुरे हो गए। ऐसे में अब हमने बिना अभ्यास के अचानक अपनी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ा दी है तो व्यायाम के दौरान तेज रक्त प्रवाह के घर्षण की वजह से प्लाक वाली खुरदुरी सतह फट जाती है।
हमारी प्लेटलेट्स वहां तुरंत थक्का जमाती है और आर्टरी तुरंत ब्लॉक हो जाती है। इसे प्लाक रपचर कहते हैं। यहीं कारण है कि उससे अचानक हार्ट अटैक होता है और कम उम्र में हार्ट इसके लिए तैयार नहीं होता, इसलिए व्यक्ति की जान का खतरा बढ़ जाता है। क्या हैं हार्ट अटैक के लक्षण और बचाव? सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विकास पुरोहित ने बताया कि सीने के बीचों बीच दबाव या दर्द जो गले, जबड़े या हाथों तक फैल जाए, लगातार बढ़ता हुआ दर्द या भारीपन, अत्यधिक पसीना, घबराहट, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी या चक्कर आना प्रमुख लक्षण हैं।
संतुलित और कम वसा वाला भोजन, रोजाना योग-वॉक या हल्का व्यायाम, धूम्रपान व शराब से दूरी, ब्लड प्रेशर, शुगर-कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच और परिवार में हार्ट डिजीज का इतिहास हो तो 35-40 साल की उम्र के बाद सालाना हृदय जांच बचाव के लिए जरूरी हैं। आर्टरी 100 प्रतिशत ब्लॉक, फिर भी ईसीजी-इको आ रही नॉर्मल। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राम चितलांगिया ने बताया कि अब कई ऐसे मामले भी आ रहे हैं, जिसमें हार्ट अटैक से पहले होने वाली ईसीजी, इको जैसी जांचें सामान्य आती है। इसीलिए एंजियोग्राफी करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
कई बार हार्ट की नस के 100 प्रतिशत ब्लॉक होने से पहले तक भी इको जांच सामान्य आ सकती है। ऐसे में एंजियोग्राफी से सटीक स्थिति पता लगाई जा सकती है। हमेशा ऐसा नहीं मानना चाहिए कि ईसीजी या इको जांच सामान्य है तो उन्हें हार्ट से जुड़ी समस्या नहीं है। इसीलिए हार्ट से जुड़ी समस्याओं के लक्षण बने रहते हैं तो आगे भी जांच करानी चाहिए।