राजस्थान कांग्रेस में आपसी मतभेद शासन को कर रहा प्रभावित

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जयपुर, 3 जुलाई ()। राजस्थान कांग्रेस के दो खेमों के आपसी मतभेद का असर राज्य की शासन व्यवस्था पर भी पड़ रहा है।

राज्य उथलपुथल के माहौल से गुजर रहा है। यह भ्रष्टाचार चार्ट में सबसे ऊपर है। यह फिर से महिलाओं पर होने वाले अपराध की सूची में और बेरोजगारी सूचकांक में सबसे ऊपर है।

फिलहाल, उदयपुर में दिनदहाड़े एक बाजार में एक दर्जी कन्हैया लाल की भीषण हत्या के बाद राज्य सरकार चेहरा बचाने की कोशिश कर रही है।

राज्य मशीनरी, खुफिया विफलता और पुलिस की लापरवाही को लेकर पूछे जा रहे सवालों के बीच राज्य सरकार को रातों-रात 32 आईपीएस अधिकारियों का तबादला करना पड़ा है।

घटना के बारे में जानकारी ना होने के कारण खुफिया तंत्र की विफलता पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब दर्जी को दी जा रही धमकी का वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया, तब भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

कन्हैया लाल ने जब शिकायत दर्ज कराई तब भी पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राज्य की खुफिया एजेंसियां सत्ताधारी पार्टी के विधायकों की जासूसी करने में व्यस्त हैं और इसलिए उनके पास अन्य मुद्दों पर गौर करने का समय नहीं है।

यह टिप्पणी राज्यसभा चुनाव के दौरान एक फाइव स्टार होटल में कांग्रेस विधायकों की देखभाल करने वाली एक खुफिया टीम के मद्देनजर की गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए टीम की प्रतिनियुक्ति की गई थी कि किसी भी विधायक को विपक्ष अपने खेमे में न ले जा सके।

यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस के विधायक अपने ही साथियों पर शक करते दिख रहे हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर राज्य सरकार को गिराने के लिए 2020 में विद्रोह की योजना बनाने में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाया था।

राज्य के मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने अपने ही विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम पर संदेह जताते हुए गहलोत के बयान का समर्थन किया था।

इसके अलावा, वरिष्ठ विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी ने मौत की धमकी मिलने के बाद राज्य सरकार पर अक्षमता का आरोप लगाया।

चित्तौड़गढ़ के बेगुन से विधायक बिधूड़ी ने कहा, कोटा का एक व्यक्ति सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लगातार धमकियां देता है। इसकी शिकायत मैंने तीन महीने पहले की थी, लेकिन ना तो सरकार ने कुछ किया और ना ही चित्तौड़गढ़ की पुलिस ने। जब कोई विधायक सुरक्षित नहीं है, तो राजस्थान के लोग कैसे सुरक्षित रहेंगे।

ऐसे बयानों से पता चला है कि कांग्रेस के ही विधायक पार्टी पर हमला करने में बाज नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने हाल ही में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से अपने विधायक भरत सिंह की आलोचना की थी, जिन्होंने गहलोत को पत्र लिखकर अग्निपथ के विरोध में भाजपा के 4 विधायकों के खिलाफ दर्ज एक मामले को वापस लेने के लिए अपनी ही सरकार से नाखुशी व्यक्त की थी।

पूर्व मंत्री ने पत्र में कहा कि अगर ऐसे मामलों को वापस लेना है और विधायकों को राहत देनी है, तो राज्य में जनता के खिलाफ दर्ज सभी मामले भी वापस लिए जाने चाहिए।

मतभेदों को और उजागर करते हुए, राज्य के मंत्री धारीवाल ने हाल ही में पार्टी के बारे में सवाल उठाते हुए पूछा कि शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को कांग्रेस ने क्यों मैदान में उतारा, जबकि वह पहले दो चुनाव हार चुके हैं।

अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ने वाले विधायकों की सूची लंबी होती दिख रही है, क्योंकि उच्च स्तर पर इस तरह के मुद्दों की जांच करने के लिए कोई मजबूत नेतृत्व नहीं है।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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