8- भगवान ऋषभदेव (भगवान विष्णु के 24 अवतार)
भगवान विष्णु ने ऋषभदेव के रूप में आठवां अवतार लिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार महाराज नाभि की कोई संतान नहीं थी। इन कारण उन्होंने अपनी धर्मपत्नी मेरुदेवी के साथ पुत्र की कामना से यज्ञ किया। यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं
प्रकट हुए और उन्होंने महाराज नाभि को वरदान दिया कि मैं ही तुम्हारे यहां पुत्र रूप में जन्म लूंगा।
वरदान स्वरूप कुछ समय बाद भगवान विष्णु महाराज नाभि के यहां पुत्र रूप में जन्मे । पुत्र के अत्यंत सुंदर सुगठित शरीर, कीर्ति, तेज, बल, ऐश्वर्य, यश, पराक्रम और शूरवीरता आदि गुणों को देखकर महाराज नाभि ने उसका नाम ऋषभ (श्रेष्ठ)
रखा।