कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को मांसाहारी जानवरों के हमले से सुरक्षित करने के लिए 80 लाख की लागत से सौलर फेंसिंग का सुरक्षा कवच बनाया जाएगा। इस कवच से शाकाहारी वन्यजीवों और रात को गश्त कर रहे वनकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। पार्क की दीवार को सौलर फेंसिंग से ढका जाएगा, जिसमें विद्युत करंट प्रवाहित रहेगा। यदि कोई लेपर्ड दीवार पार करने की कोशिश करेगा, तो सौलर फेंसिंग उसे करंट का झटका देगी। इससे बायोलॉजिकल पार्क के अंदर पैंथर नहीं घुस पाएंगे, जबकि इस करंट से वाइल्ड एनिमल को नुकसान नहीं होगा।
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के चारों ओर घना जंगल है, जहां पैंथर, भालू, जरख और भेड़िया जैसे मांसाहारी जानवरों का मूवमेंट रहता है। ये जानवर पार्क की 10 फीट ऊंची सुरक्षा दीवार को फांदकर अंदर आ जाते हैं, जिससे शाकाहारी वन्यजीवों और वनकर्मियों पर खतरा बना रहता है। पिछले वर्ष ऐसी एक घटना भी घट चुकी है। वन्यजीव विभाग ने सौलर फेंसिंग लगाने के लिए प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेज दिए हैं। उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि अभेड़ा बायोलॉजिकल की सुरक्षा दीवार 5 हजार मीटर लंबी है।
वर्तमान में यह दीवार 10 फीट ऊंची है, जिस पर 4 फीट ऊंची सौलर फेंसिंग लगाई जाएगी। इससे कोई भी वाइल्ड एनिमल, खासकर लेपर्ड, दीवार फांदकर पार्क के अंदर नहीं आ सकेगा। इससे शाकाहारी वन्यजीवों और गश्त कर रहे वनकर्मियों पर मांसाहारी जानवरों के हमले का खतरा कम होगा। इस सौलर फेंसिंग पर लगभग 80 लाख रुपए का खर्च आएगा। इसके प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेज दिए गए हैं। 2023 में 29 अप्रैल की रात को लेपर्ड ने बायोलॉजिकल पार्क की दीवार फांदकर ब्लैक बक के एनक्लोजर में हमला किया था।
इस घटना के बाद वनकर्मियों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए लेपर्ड प्रूफ सौलर फेंसिंग लगवाना आवश्यक है। इसके अलावा, बायोलॉजिकल पार्क में सैकंड फेज के निर्माण में इलेक्ट्रिक शवदाह गृह भी शामिल किया जाएगा। इससे मृत जानवरों के शव का डिस्पोजल सुगमता से हो सकेगा। अब तक शवों का अंतिम संस्कार जलाकर किया जाता था, जिससे लकड़ियों की खपत बढ़ती थी और प्रदूषण भी होता था। इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनने से लकड़ियों की खपत रुकेगी और प्रदूषण कम होगा। इसके अलावा, संक्रमण का खतरा भी कम होगा।
वन्यजीव विभाग ने इन प्रस्तावों को तैयार किया है।

