सिंह ने मनुस्मृति के इस खास सकारात्मक पहलू पर बात करते हुए कि हमारे पूर्वज अच्छी तरह से जानते थे कि उनका सम्मान कैसे किया जाता है, मनुस्मृति जैसे वैदिक शास्त्रों ने हमेशा महिलाओं को बहुत सम्मानजनक स्थान प्रदान किया है।
उन्होंने बुधवार को आयोजित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और गणित में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों नामक एक सम्मेलन में एक भाषण के दौरान यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, मनुस्मृति में ही कहा गया है कि यदि आप महिलाओं का सम्मान और सत्कार नहीं करते हैं, तो आपके द्वारा किए जाने वाले सभी पूजा पाठ का कोई मतलब नहीं होगा।
उच्च न्यायालय की न्यायाधीश ने आगे कहा कि हम भारत जैसे देश में भाग्यशाली हैं, जो महिलाओं के नेतृत्व की भूमिकाओं में प्रगतिशील है।
उन्होंने आगे कहा, मैं यह नहीं कह रही हूं कि हमें निचले स्तर पर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और बुरी चीजों को नजरअंदाज करने की जरूरत है, लेकिन हां, उच्च स्तर पर, मध्यम स्तर पर, हम महिलाओं को बढ़ते हुए देख रहे हैं।
सिंह ने यह भी कहा कि महिला मंच हैं, जहां वरिष्ठ और नवोदित महिला वकीलों के बीच नियमित बातचीत होती है।
उन्होंने इसे विस्तार से बताते हुए आगे कहा, हम युवाओं को कानून (कानूनी क्षेत्र) में आने और मुकदमेबाजी करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह सशक्तिकरण के बारे में नहीं है, यह यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रणालियों को स्थापित करने के बारे में है कि यह प्रणाली महिलाओं के अनुकूल और लचीली हो, ताकि महिलाएं आगे आ सकें और देश की प्रगति में योगदान करने के लिए अपनी शैक्षिक योग्यता का उपयोग कर सकें।
आईएएनएस
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