खाद्य निरीक्षक भर्ती मामला: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वकील के नहीं आने पर राज्य सरकार की खिंचाई की

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कोलकाता, 12 अगस्त (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में खाद्य निरीक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के ढीले रवैये पर खिंचाई की।

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति शंपा सरकार की खंडपीठ द्वारा शुक्रवार को की जानी थी, लेकिन राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अनुसूचित वरिष्ठ वकील दलीलों के लिए उपस्थित नहीं हुए, जिससे न्यायाधीश नाराज हो गए।

पीठ ने ऐसे वकीलों को नियुक्त करने के औचित्य पर सवाल उठाया जो सुनवाई की निर्धारित तारीख पर दलीलों के लिए पेश होने की जहमत नहीं उठाते।

पीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के ढीले रवैये के कारण इस विशेष मामले में प्रगति धीमी रही है।

अदालत राज्य सरकार के ²ष्टिकोण को दर्दनाक भी बताया।

पीठ ने अब मामले में सुनवाई की अगली तारीख 16 अगस्त तय की है। साथ ही पीठ ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी भी जारी करते हुए कहा कि यदि वकील अगली सुनवाई में पेश नहीं होते हैं तो वह एकपक्षीय आदेश जारी करेगी।

2010 में, जो पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा शासन का अंतिम वर्ष था, राज्य के खाद्य और आपूर्ति विभाग में 614 खाद्य निरीक्षकों की नियुक्ति की गई थी। आरोप है कि नियमों का उल्लंघन कर भर्तियां की गई हैं।

2011 में राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, नियुक्तियों को चुनौती देने वाले राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) में एक मामला दायर किया गया था, जिसने सभी नियुक्त खाद्य निरीक्षकों की सेवाओं को समाप्त करने का आदेश दिया, जिन्होंने तब कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

हालांकि, 2016 में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को वापस एसएटी को भेज दिया, जिसने अपने पहले के आदेश को बनाए रखा और पुलिस को राज्य के खाद्य और आपूर्ति विभाग की चयन समिति के पांच सदस्यों के खिलाफ मामले दर्ज करने का भी निर्देश दिया।

हालांकि, बर्खास्त खाद्य निरीक्षकों ने फिर से कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को होनी थी।

आईएएनएस

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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