जामिया: डिस्टेंस मोड में अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, राजनीति, शिक्षा और एमकॉम में दाखिले

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नई दिल्ली, 15 अगस्त। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन (सीडीओई) ने डिस्टेंस मोड में दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित किया है। सीडीओई, जामिया मिलिया इस्लामिया में इतिहास, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, एचआरएम, शिक्षा और एमकॉम में विभिन्न स्नातकोत्तर कला (एमए) के लिए डिस्टेंस और ऑनलाइन मोड में प्रवेश प्रदान करता है।

जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में बीबीए, बीकॉम, बीए, बीसीआईबीएफ, डिप्लोमा में पीजीडीजीसी, पीजीडीजीआई, डीईसीसीई और सर्टिफिकेट प्रोग्राम के लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। विश्वविद्यालय का कहना है कि इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के इच्छुक सभी आवेदकों को सलाह दी जाती है कि वे फॉर्म भरने से पहले प्रॉस्पेक्टस-2022-23 और निदेशरें को ध्यान से पढ़ें। ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 22 अगस्त, 2022 है, जबकि प्रवेश शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 30 अगस्त, 2022 है। छात्रों को अपने दस्तावेजों को 15 सितंबर, 2022 तक सत्यापित करवाना होगा या उन्हें दस्तावेज के लिए सूचित किया जाएगा।

गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन की विभीषिका का स्मरण किया। जामिया ने रिकालिंग द होर्र्स ऑफ द ब्रिटिश रूल इन पिक्टोरियल एंड पोएटिक एफ्लिकेशन्स के रूप में विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस मनाया। जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने विश्वविद्यालय के प्रेमचंद आर्काइव्स एंड लिटरेरी सेंटर में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जो 31 अगस्त, 2022 तक जारी रहेगी।

जामिया में आयोजित की गई प्रदर्शनी में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन, 1857 के विद्रोह, भारतीयों के गिरमिटिया मजदूरों के रूप में प्रवास, मद्रास प्लेग, बंगाल अकाल, मैसूर, बंगाल, पंजाब और दिल्ली में दुखद घटनाओं जैसी प्रमुख घटनाओं की स्मृतियां प्रस्तुत की गई हैं। भारत के विभाजन की भयावहता और कई भारतीय क्रांतिकारियों जैसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्लाह खान, रामप्रसाद बिस्मिल और कई अन्य लोगों के बलिदान, जिनमें महिलाएं शामिल रहीं, उन्हें चित्रात्मक और काव्यात्मक पैनल के माध्यम से दर्शाया गया है।

इस अवसर पर अपने संबोधन में जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को पता होना चाहिए कि वे लोग कौन थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, और यह प्रदर्शनी ब्रिटिश शासन के तहत कई वर्षों की भयानक घटनाओं को याद करने का एक प्रयास है। इन कविताओं में स्वतंत्रता संग्राम की कहानी सुनाई गई है जिनमें से कुछ कविताओं और कई प्रसिद्ध कवियों पर अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बारे में आज की पीढ़ी को पता होना चाहिए।

इससे पूर्व कुलपति ने विश्वविद्यालय के एमएके पटौदी खेल परिसर में मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया। अपने हाथों में तिरंगा लिए हुए एनसीसी कैडेट, एनएसएस वोलेंटीयर्स और विश्वविद्यालय के स्टाफ सदस्यों ने मैराथन में बड़ी संख्या में भाग लिया, जिसने पूरे परिसर को कवर किया।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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