दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय ओलंपिक संघ के लिए सीओए की नियुक्ति की

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नई दिल्ली, 16 अगस्त। खेल निकायों के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने और उन्हें संरचनात्मक रूप से चलाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के मामलों को देखने के लिए प्रशासकों की एक समिति (सीओए) की नियुक्ति की।

कोर्ट ने केंद्र को भारतीय ओलंपिक संघ या किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) को मान्यता या कोई सुविधा नहीं देने का भी निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने एक आदेश में कहा, भारत में खेल प्रशासन के लिए कानूनी व्यवस्था को पूरी तरह और प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए।

कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब प्रशासकों की समिति सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप आईओए के दिन-प्रतिदिन के शासन का संचालन करेंगे।

न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और डॉ. एसवाई कुरैशी पहले ही अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सीओए के सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं।

ओलंपिक पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा (उत्तराखंड से), पूर्व लंबी कूद एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज (केरल से), और आर्चर बोम्बायला देवी लैशराम (मणिपुर से) सहित सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे।

कोर्ट ने कहा, जो खेल निकायों का कुप्रबंधन करते हैं और जिन्होंने खेल निकायों को अपनी व्यक्तिगत जागीर में बदल दिया है। वे सरकार / अधिकारियों और न्यायालयों को चुनौती देते हैं कि यदि वे खेल संघ का लोकतंत्रीकरण करने और कुप्रबंधन को दूर करने का प्रयास करें, वरना देश की मान्यता समाप्त हो जाएगी और भारतीय खिलाड़ी भविष्य में भाग नहीं ले पाएंगे।

72 पन्नों के आदेश में कहा गया है कि सीओए आईओए के संचालन के लिए सभी उचित व्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र होगा, जब तक कि खेल संहिता के अनुरूप संविधान के अनुसार नए चुनाव नहीं हो जाते।

खेल संहिता का पालन करने वाले और ओलंपिक खेलों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी एनएसएफ औपचारिकताओं को पूरा करने के अधीन स्वत: ही आईओए सदस्यता के लिए अर्हता प्राप्त कर लेंगे। तदनुसार, भारतीय गोल्फ संघ के आवेदन पर आईओए द्वारा चार सप्ताह के भीतर पूर्ण मतदान अधिकार के लिए विचार किया जाएगा और यह आदेश के अनुसार निर्वाचक मंडल का एक हिस्सा होगा।

आदेश में कहा गया, यदि कोई खेल महासंघ कानून का पालन नहीं करता है, तो उसे सरकार से कोई मान्यता प्राप्त नहीं होगी। इसके लिए सभी लाभ और सुविधाएं तुरंत बंद हो जाएंगी। सरकार के उदारता और संरक्षण का अन्यायपूर्ण आनंद लेने वाले और खेल के नियमों का पालन करने वाले अड़ियल संस्थाओं को बाहर किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा, खेलों के अनुपालन की सरकारी निगरानी हर समय त्वरित, मजबूत और सावधानीपूर्वक होने की उम्मीद है।

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Jaswant singh Harsani is news editor of a niharika times news platform
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