अभी केंद्र से जवाब नहीं मांगेंगे: दिल्ली सरकार के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर हाल ही में दिल्ली सरकार का हलफनामा आवश्यक नहीं था, यानी सिसोदिया के हलफनामे को सुप्रीम कोर्ट ने गैरजरूरी बताया है। सिसोदिया ने कहा था कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे। कोर्ट ने कहा कि 24 नवंबर से मामले से जुड़े कानूनी सवालों पर संविधान पीठ को सुनवाई करनी है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वह अब मामले में आगे किसी भी फाइलिंग की अनुमति नहीं देंगे। इसमें कहा गया है, हम अभी जवाब नहीं मांगेंगे अन्यथा लोग अंतिम तारीख तक हलफनामा दाखिल करना शुरू कर देंगे। हम अभी याचिकाओं पर रोक लगाएंगे और संविधान पीठ को अब इस मामले को उठाने देंगे। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि इसका जवाब देने की अभी कोई जरूरत नहीं है।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार द्वारा दायर अंतिम मिनट के हलफनामे पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन की आपत्ति पर ध्यान दिया। जैन ने सिसोदिया द्वारा दायर हलफनामे को प्रेस में लीक करने के लिए आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया। जैन ने कहा कि यह गलत प्रथा है और हलफनामा राजनीतिक प्रचार दिखाता है और इसे दायर किए जाने से पहले प्रेस के साथ साझा किया गया था।

दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप का खंडन करते हुए कहा- मैंने प्रेस को एक भी प्रति नहीं दी है। हम जानते हैं कि प्रेस को प्रति कैसे मिलती है। उन्होंने आप सरकार के साथ नौकरशाहों द्वारा असहयोग के कारण राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन में पक्षाघात का हवाला दिया।

दिल्ली सरकार ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उपराज्यपाल ने वास्तव में, एनसीटी में शासन की एक अनिर्वाचित मशीनरी बनाई है जो दिल्ली के एनसीटी की चुनी हुई सरकार के समानांतर चलती है और एलजी के कार्यालय ने राष्ट्रीय राजधानी में शासन को पटरी से उतार दिया है। दूसरा, एलजी ने लगातार वीटो और गैर-सहमति की शक्तियों का प्रयोग करके दिल्ली की एनसीटी की निर्वाचित सरकार के कामकाज को रोक दिया है और बाधित किया है जो संवैधानिक रूप से उनके पास नहीं है।

हलफनामे में कहा गया है, अधिकारियों ने मंत्रियों के फोन उठाना बंद कर दिया है। अधिकारी मंत्रियों के आदेशों/निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं, जिसमें लिखित में दिए गए आदेश/निर्देश शामिल हैं। सिसोदिया ने हलफनामे में कहा कि एकतरफा कार्यकारी कार्रवाई करके शासन की समानांतर मशीनरी को प्रभावित करना मंत्रिपरिषद की शक्ति का प्रत्यक्ष और असंवैधानिक उपयोग है।

शीर्ष अदालत में मामले हैं- पहला, नौकरशाहों के नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तकरार दूसरा मामला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021 से जुड़ा है, जो दिल्ली के प्रशासन के मामलों में एलजी को ऊपरी हाथ (पूरा अधिकार) देता है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ दोनों मामलों की सुनवाई कर रही है। मामलों की सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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