उप्र के भाजपा सांसद हुए बेचैन, पार्टी व सरकार को कर रहे शर्मिदा

Sabal Singh Bhati
5 Min Read

लखनऊ, 4 दिसंबर ()। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सांसद व्यवस्था के खिलाफ अपनी नाराजगी के बारे में लगातार मुखर हो रहे हैं और पार्टी और सरकार को शर्मिदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

कानपुर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने यूपी सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि सपा विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच गुण और तथ्यों के आधार पर की जाए।

पचौरी ने कहा कि सपा विधायक के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने प्रमुख सचिव (गृह) सहित कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने में सोलंकी की पत्नी और मां की मदद की, सांसद ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह मामले की तह तक जाने के लिए अधिकारियों से मदद मांगे।

विपक्ष के एक विधायक से जुड़े मामले में पचौरी के दखल से राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई है।

सपा विधायक, जिन्होंने शुक्रवार को आत्मसमर्पण किया, पर आधार कार्ड बनाने सहित कई आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है।

एक अन्य उदाहरण में कुछ दिनों पहले पचौरी और दो अन्य भाजपा सांसदों – अकबरपुर से देवेंद्र सिंह भोले और मिसरिख से अशोक रावत ने विकास पर चर्चा करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा कानपुर के अधिकारियों की बैठक बुलाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

तीनों सांसदों ने बैठक रद्द करने की मांग करते हुए कानपुर मंडल के आयुक्त को एक पत्र भेजा और अध्यक्ष द्वारा इस तरह की बैठक आयोजित करने पर सवाल उठाए जाने के बाद बैठक से बाहर हो गए।

उन्होंने अध्यक्ष के कार्यक्षेत्र पर सवाल उठाया और संकेत दिया कि इस तरह की बैठक करना सांसदों के अधिकारों का उल्लंघन है।

पत्र में रेखांकित किया गया है कि विकास कार्यो की समीक्षा के लिए जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति की बैठक अशोक रावत की अध्यक्षता में हो रही है।

पत्र की कॉपी मुख्यमंत्री को भेजी गई है।

अचंभित महाना बैठक के साथ आगे बढ़े।

महाना ने कहा कि वह इस बैठक की अध्यक्षता करने के अपने अधिकार क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा, मैं कानपुर में महाराजपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं और इस तरह की बैठकें करता रहा हूं और करता रहूंगा। मेरा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास कार्यो में कोई बाधा न आए।

देवेंद्र सिंह भोले ने कहा, महान संवैधानिक पद पर हैं, उन्हें संवैधानिक मयार्दाओं का पालन करना चाहिए। उनके सलाहकार ने जिस तरह इस बैठक के लिए पत्र लिखा, वह गलत है।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस बैठक को कानपुर और अकबरपुर लोकसभा सीटों को लेकर रस्साकशी के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा ने पत्र लिखकर एक महिला अधिकारी पर धान खरीद घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था।

यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पहले से ही इसी तरह के आरोप लगाने वाले विपक्ष को गोला बारूद दिया।

डुमरियागंज के पूर्व भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने एक सार्वजनिक समारोह में पार्टी सांसद जगदम्बिका पाल के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और पार्टी ने उनके व्यवहार को नजरअंदाज कर दिया।

पिछले महीने कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने वीडियो जारी कर दावा किया था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को नौकरशाहों के पैर छूने के लिए मजबूर किया गया।

उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव को भी आड़े हाथ लिया और उनके खिलाफ जांच की मांग की, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि बाबा के भाजपा आलाकमान के साथ मधुर संबंध हैं।

हैरानी की बात यह है कि पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के करीब आधा दर्जन मामलों के बावजूद भाजपा नेतृत्व ने इस मामले में कोई पहल नहीं की है।

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, सांसद जो जानते हैं कि उम्र या खराब प्रदर्शन के आधार पर उन्हें 2024 में टिकट से वंचित किया जा सकता है, वे बहाना बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई है और इस तरह के कार्यो को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।

हालांकि, एक सांसद ने कहा कि उन्हें केवल इसलिए बोलने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि पार्टी प्रमुख मुद्दों की अनदेखी कर रही थी।

उन्होंने कहा, आने वाले दिनों में और भी नेता बोलेंगे, क्योंकि चुनाव नजदीक हैं, हम लोगों के प्रति भी जवाबदेह हैं।

एसजीके

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times