लोकसभा : स्थायी समितियों के खिलाफ कांग्रेस, तृणमूल ने दुर्लभ एकता दिखाई

2 Min Read

नई दिल्ली, 7 दिसंबर ()। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन बुधवार को लोकसभा में दो विपक्षी दलों- कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच एकता का दुर्लभ प्रदर्शन देखने को मिला।

यह सब तब हुआ, जब निचले सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विपक्षी दल के सदस्यों को किसी भी संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षता नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया।

चौधरी ने शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए स्पीकर ओम बिरला से कहा कि एक तरफ जहां सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ संसदीय मानदंडों और परंपराओं के बावजूद विपक्षी दलों से सभी समितियों की अध्यक्षता छीन लेती है।

बिरला ने जब आसन को चुनौती नहीं देने की चेतावनी दी, तब चौधरी ने तृणमूल नेता सुदीप बंद्योपाध्याय का नाम लेते हुए कहा कि उनकी पार्टी को भी किसी संसदीय पैनल की अध्यक्षता नहीं दी गई।

इसके तुरंत बाद बंद्योपाध्याय भी खड़े हुए और कहा कि दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के बावजूद संसदीय कार्य मंत्री ने उन्हें बताया कि तृणमूल को किसी संसदीय पैनल की अध्यक्षता नहीं दी जा रही है।

बंद्योपाध्याय ने कहा कि उन्होंने मंत्री से कहा था कि अगर वह सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को समिति आवंटित नहीं कर सकते तो यह उनका फैसला है।

तृणमूल नेता ने कहा, हम इसके लिए भीख नहीं मांग रहे हैं।

अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल और यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल के घोर आलोचक माने जाने वाले चौधरी ने निचले सदन में बंद्योपाध्याय का नाम लेकर दोनों विपक्षी दलों के बीच दुर्लभ एकता दिखाई।

12 सितंबर को कार्यकाल समाप्त होने के बाद इस साल अक्टूबर में सभी संसदीय पैनलों का पुनर्गठन किया गया था।

एसजीके

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
Exit mobile version