कोटा छात्र आत्महत्या: पुलिस कर रही डिप्रेशन, पढ़ाई के दबाव की जांच

Sabal Singh Bhati
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जयपुर, 13 दिसम्बर ()। भारत में शिक्षा और कोचिंग का हब माने जाने वाले राजस्थान के कोटा में 12 घंटे के भीतर तीन छात्रों ने आत्महत्या कर ली।

आईआईटियन, डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के लिए जाना जाने वाला कोटा पिछले कुछ सालों से छात्रों की आत्महत्या और डिप्रेशन से पीड़ित होने के कारण चर्चा में रहा है।

हाल ही में तीन छात्रों की आत्महत्या के मामले में सवाल पूछे जा रहे हैं- इन आत्महत्याओं के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? क्या ये छात्र पढ़ाई के दबाव से डिप्रेशन में थे? क्या उनके माता-पिता जानते हैं कि वे अपनी कक्षाओं में भी नहीं जा रहे थे, जैसा कि कुछ छात्रों ने मीडिया को बताया था। कोटा के पुलिस अधीक्षक केसर सिंह ने को बताया, पुलिस की टीमें मामले की जांच कर रही हैं। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि मामले में जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है और उसके बाद हम पूरी जांच करेंगे।

अधिकारियों ने पुष्टि की कि सोमवार को आत्महत्या करने वाले बिहार के दो और मध्य प्रदेश के एक छात्र राजस्थान के सबसे बड़े संस्थान एलेन में पढ़ रहे थे। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह बच्चे पढ़ाई के दबाव में थे और डिप्रेशन में थे। हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि बच्चे कितने दिनों से अपनी कोचिंग क्लास के लिए नहीं जा रहे थे, लेकिन उनके दोस्तों और हॉस्टल से मिली जानकारी के मुताबिक बच्चे क्लास बंक कर रहे थे।

इस बीच प्रारंभिक जांच में कहा गया है कि तीनों छात्र कोचिंग नहीं गए थे। अंकुश और उज्जवल नाम के ये दो छात्र कृष्णा कुंज पीजी हॉस्टल में रहते थे लेकिन हॉस्टल के मालिक इस बात से अनजान थे कि छात्र कोचिंग बंक कर रहे हैं। आत्महत्या करने वाले अंकुश का दोस्त प्रिंस उसी इलाके के हॉस्टल में रहता है। दोनों सुबह साथ में खाना खाते थे। प्रिंस ने बताया कि सुबह 11 बजे उन्होंने अंकुश को कई बार फोन करने की कोशिश की। उसने फोन नहीं उठाया तो मैं एक दोस्त के साथ अंकुश के हॉस्टल पहुंचा। वह अंदर से बंद था। मैंने खिड़की से देखा तो वह लटका हुआ था। हमने पास के कमरे में रहने वाले छात्र को सूचित किया और हॉस्टल संचालक को भी सूचित किया।

उज्जवल और अंकुश दोनों बिहार के रहने वाले थे। तलवंडी इलाके में छात्रावास की दूसरी मंजिल पर दोनों के कमरे थे। दोनों के कमरे अगल-बगल थे। दोनों ने एक ही दिन सुसाइड किया। इस घटना से यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह सुनियोजित आत्महत्या थी या नहीं? क्या सुसाइड से पहले दोनों ने एक-दूसरे से बात की थी ? दोनों ने आपस में अपनी टेंशन को लेकर चर्चा की? क्योंकि दोनों के खुदकुशी करने की सूचना 11 बजे के बाद आई। पुलिस का कहना है कि इन सवालों का रहस्य जांच के बाद ही पता चलेगा।

उज्जवल के दोस्त ने कहा कि वह परिवार में इकलौता बेटा था। जब वह 9वीं कक्षा में था तब से वह कोटा में रहता है। उसकी बहन पहले से ही यहां कोचिंग ले रही है। वह हॉस्टल गई और अपने भाई का दरवाजा खटखटाया। जब भाई ने दरवाजा नहीं खोला तो उसने पुलिस को सूचना दी और तब उसका शव मिला। उन्होंने कहा कि उज्जवल पढ़ाई में अच्छा था। हाल ही में उनका एक कोचिंग टेस्ट छूट गया था। उसने यह बात अपने पिता को बताई जिन्होंने उसे डांटा। वह घर वापस जाना चाहता था।

तीसरा छात्र प्रणव वर्मा (17) मेडिकल की पढ़ाई की तैयारी कर रहा था और पिछले दो साल से कोटा में रह रहा था। वह अप्रैल से लैंडमार्क सिटी स्थित छात्रावास में रहता था। रविवार की शाम उसने खाना खाया और फिर चावल लेकर अपने कमरे में चला गया। रात करीब 9 बजे उसने अपने परिवार से फोन पर बात की। रात 1.30 बजे जब हॉस्टल में रहने वाला एक अन्य छात्र पानी लेने के लिए अपने रुम से निकला तो प्रणव गैलरी में बेहोश पड़ा था। उसे इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टर ने उसकी जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि प्रणव के कमरे से चूहों को मारने की दवा मिली है। फिलहाल पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है।

कोटा में 20 दिन पहले आईआईटी और नीट की तैयारी कर रहे दो छात्रों की डूबने से मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने कोचिंग छात्रों के लिए गाइडलाइन तय की थी। तय हुआ कि कोचिंग संस्थान बच्चों पर नजर रखेंगे। लगातार अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के अभिभावकों को एसएमएस भेजा जाएगा। प्रशासन और थाने को सूचना देनी होगी। आत्महत्या के इन मामलों में यह बात सामने आई कि कोचिंग संस्थान ने बच्चों के परिजनों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी।

इन तीनों छात्रों की आत्महत्या से कुछ महीने पहले एक अन्य छात्र अभिषेक ने भी कोटा में आत्महत्या कर ली थी। कोटा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर मनोचिकित्सक और न्यू मेडिकल अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. सी.एस. सुशील ने कहा, पढ़ाई में तनाव बढ़ रहा है। यही आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण है। वे परिवार के साथ नहीं रहते हैं और पारिवारिक सुरक्षा न मिलने से तनाव भी महसूस करते हैं। पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन के साधन मुहैया कराना बेहद जरूरी है।

केसी/एएनएम

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