मनीष तिवारी ने संसद में भारत-चीन मुद्दे पर चर्चा न होने पर चिंता जताई

2 Min Read

नई दिल्ली, 14 दिसंबर ()। कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने बुधवार को इस बात पर चिंता जताई कि 9 दिसंबर को पीएलए सैनिकों द्वारा किए गए अतिक्रमण के प्रयासों के बाद अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर हालात संवेदनशील होने के बावजूद सरकार ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की।

उन्होंने इस बात पर भी निराशा जताई कि सितंबर 2020 से अब तक संसद का यह छठा सत्र है और भारत-चीन संबंधों और एलएसी के मौजूदा हालाता पर कोई चर्चा नहीं हुई है। गालवान घाटी गतिरोध मई 2020 में हुआ था।

आनंदपुर साहिब से कांग्रेस के सांसद ने आगे कहा कि कोई भी सरकार पर दोष नहीं मढ़ना चाहता, लेकिन स्थिति काफी संवेदनशील है।

तिवारी ने शून्यकाल में मामला उठाते हुए कहा कि 1950 से 1967 के बीच जब भी चीन के साथ तनाव बढ़ा, संसद में भारत-चीन संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई थी।

उन्होंने कहा कि 1962 के चीन युद्ध के दौरान 8 से 15 नवंबर, 1962 के बीच इस पर बहस हुई, जिसमें 165 सदस्यों ने हिस्सा लिया था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में एक बयान पढ़ा था, जिसमें बताया गया था कि भारतीय सैनिकों ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में चीनी पीएलए सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के प्रयास को रोकने में कामयाबी हासिल की थी। उन्होंने आगे बताया था कि इस दौरान चीनी सैनिकों के साथ हाथापाई हुई। भारतीय पक्ष का कोई हताहत नहीं हुआ और दोनों पक्षों के सैनिकों को केवल मामूली चोटें आईं।

बुधवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मामले पर चर्चा की मांग को लेकर लोकसभा से कई बार बहिर्गमन किया।

एसजीके/एएनएम

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
Exit mobile version