खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी की नई पार्टी कर्नाटक में भाजपा की संभावनाओं को करेगी प्रभावित

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बेंगलुरू, 27 दिसम्बर ()। कर्नाटक की सत्तारूढ़ भाजपा खनन कारोबारी गली जनार्दन रेड्डी की नवगठित कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (केआरपीपी) पार्टी को लेकर चिंतित है। इससे राज्य में, खासकर हैदाराबाद के साथ सीमावर्ती क्षेत्र में इसकी संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

भाजपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है और रेड्डी के कदम के खिलाफ रणनीति बना रही है।

नए घटनाक्रम से विपक्षी कांग्रेस खुश है। उसे उम्मीद है कि रेड्डी की केआरआरपी भाजपा के वोट को विभाजित करगी, इससे कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित हो जाएगी।

गौरतलब है कि वर्ष 2008 मे बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में, जब भाजप राज्य में सत्ता में आई, जनरार्दन रेड्डी और उनके भाई श्रीरामुलु सबसे आगे थे।

उन्होंने बहुमत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी द्वारा चलाए गए ऑपरेशन लोटस में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

बाद में खनन घोटाले की लोकायुक्त जांच के कारण उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया गया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

उनके संरक्षक दिवंगत केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज व भाजपा ने उनसे दूरी बनाए रखी। हालांकि श्रीरामुलु भगवा पार्टी में लौट आए, लेकिन जनार्दन रेड्डी को पार्टी से दूर रखा गया।

भाजपा आलाकमान तक पहुंचने के खनन दिग्गज के सभी प्रयास विफल रहे और आखिर में उन्होंने अपनी पार्टी गठित कर ली।

भाजपा के सूत्रों ने कहा है कि रेड्डी की पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में उनके लिए और चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करेगी।

भगवा पार्टी को हिंदू महासभा, श्री राम सेना द्वारा चुनौती दी जा रहीं है, जिसके नेताओं ने पहले ही भाजपा को हराने की कसम खाई है।

रेड्डी की पार्टी बीदर, यादगीर, रायचूर, कालाबुरगी, बल्लारी, कोप्पल और विजयनगर जिलों में भगवा पार्टी को नुकसान पहुंचाएगी।

इन जिलों में से अधिकांश को भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन रेड्डी के कारण पार्टी को नुकसान होगा।

उधर, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि एआईसीसी अध्यक्ष के पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे की नियुक्ति ने राज्य में पार्टी की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।

खड़गे कालाबुरगी से ताल्लुक रखते हैं और दलित वर्ग के एक सम्मानित नेता हैं।

सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस मामले पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा की है।

भगवा पार्टी द्वारा इस क्षेत्र में अपनी सीटों को बनाए रखने के लिए एक नई रणनीति अपनाने की संभावना है।

सीबीटी

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
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