पार्थ चटर्जी का जेल में इलाज संभव नहीं: एसएसकेएम

Sabal Singh Bhati
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पार्थ चटर्जी का जेल में इलाज संभव नहीं: एसएसकेएम कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने शनिवार को एम्स, भुवनेश्वर की उस रिपोर्ट का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी पार्थ चटर्जी को अपनी कुछ पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है।

एसएसकेएम की सात सदस्यीय टीम शनिवार को कोलकाता में प्रेसीडेंसी जेल गई और चटर्जी की पूरी तरह से मेडिकल जांच की और निष्कर्ष निकाला कि चटर्जी की बीमारियों का इलाज सलाखों के पीछे नहीं किया जा सकता है।

मेडिकल टीम ने इस मामले में जेल अधीक्षक को एक रिपोर्ट भी सौंपी, जिसमें जेल अधिकारियों को सलाह दी गई कि चटर्जी की लगातार निगरानी की जानी चाहिए। इसके अलावा टीम ने इस संबंध में कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए। चटर्जी के शरीर के अंगों में बार-बार सूजन आने की समस्या पर चिकित्सा दल ने विशेष रूप से चिंता व्यक्त की।

पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के तुरंत बाद जारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, चटर्जी को चिकित्सा जांच के लिए एम्स भुवनेश्वर ले जाया गया था। वहां के डॉक्टरों ने साफ तौर पर कहा था कि चटर्जी की पुरानी बीमारियां इतनी गंभीर नहीं हैं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़े।

हालांकि, इस मामले में एसएसकेएम की मेडिकल टीम की एक पूरी तरह से विरोधाभासी रिपोर्ट से मामले में एक और विवाद पैदा होने की आशंका है।

अब सवाल यह उठता है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को एसएसकेएम की टीम को प्रेसीडेंसी जेल भेजने के लिए आखिर किस चीज ने प्रेरित किया?

यह पता चला है कि सुधार गृह से जुड़े डॉक्टर प्रणब घोष ने जेल अधीक्षक को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उन्होंने चटर्जी की कुछ जटिलताओं, विशेष रूप से उनके सूजे हुए अंगों और कमर दर्द से संबंधित जटिलताओं का उल्लेख किया था।

जेल अधीक्षक ने रिपोर्ट को राज्य सुधार सेवा विभाग को भेज दिया, जिसने इसे दक्षिण 24 परगना जिले के स्वास्थ्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय (सीएमओएच) को भेज दिया, जिसके अधिकार क्षेत्र में प्रेसीडेंसी केंद्रीय सुधार गृह आता है।

इसके बाद सीएमओएच ने एसएसकेएम को चटर्जी की मेडिकल जांच के लिए जेल में एक मेडिकल टीम भेजने का निर्देश दिया।

आईएएनएस

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times