सीएमसीएच कॉन्क्लेव 2025 में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे में कमी

Tina Chouhan

जयपुर। हर साल लाखों लोग हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के कारण मृत्यु का शिकार होते हैं। यदि इनकी जांच में जोखिम कारक स्पष्ट हो जाएं, तो नई इन्हिबिटर दवाएं उपलब्ध हैं, जो इन खतरों को काफी कम कर देती हैं। यह जानकारी दो दिवसीय स्टेट लेवल कॉन्फ्रेंस सीएमसीएच कॉन्क्लेव 2025 में सामने आई। रविवार को संपन्न हुए इस कॉन्क्लेव में विशेषज्ञों ने इस विषय पर विस्तृत चर्चा की। कॉन्फ्रेंस के आयोजक चेयरमैन डॉ. रोहित चौपड़ा ने बताया कि दो दिनों में विशेषज्ञों ने हार्ट से जुड़ी बीमारियों और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों पर नवीनतम शोध साझा किया। अंतिम दिन डॉ.

संजीब रॉय ने एंजियोप्लास्टी के दौरान स्टेंट लगाने की विधि पर, डॉ. जिम्मी जॉर्ज ने बॉयफ्र्केशन एंजियोप्लास्टी पर, और डॉ. आशीष गुप्ता ने कैथलैब में होने वाली जटिलताओं पर सेशन दिया। इस दौरान जन्मजात हृदय रोगों और जटिल बॉयफर्केशन एंजियोप्लास्टी मॉडल पर एक हैंड्स ऑन वर्कशॉप भी आयोजित की गई, जिसमें पूरे राजस्थान से 80 से अधिक कार्डियोलॉजिस्ट ने भाग लिया। डॉ. चौपड़ा ने बताया कि अब हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और बीपी जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए नए इन्हिबिटर दवाएं उपलब्ध हैं।

एसजीएलटी-2 इन्हिबिटर का उपयोग किडनी में बनने वाले ग्लूकोज को ब्लॉक करने के लिए किया जा सकता है, जिससे हार्ट और ब्रेन को नुकसान नहीं होता। यह टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को दिया जाता है, जिससे उनका बीपी नियंत्रित हो सकता है और वजन में भी कमी आती है। अध्ययन में यह पाया गया है कि एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर के उपयोग से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे में 30 से 35 प्रतिशत कमी आती है।

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