राजस्थान के कई जिलों में खांसी के सिरप के कारण हड़कंप मच गया है। कई बच्चों की मौत हो गई है और कई अन्य बीमार हैं। केयसंस फार्मा लिमिटेड की खांसी की दवा के कारण बच्चों की जान गई है, जबकि इस कंपनी के पास केवल लिक्विड सेक्शन, कैप्सूल और टेबलेट बनाने का लाइसेंस है। जयपुर के सरना डूंगर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित इस कंपनी की फैक्ट्री पर ताले लगे हुए हैं और मालिक सहित कोई कर्मचारी गायब है। कफ सिरप से बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जयपुर की केयसंस फार्मा द्वारा निर्मित इस सिरप के सेवन से भरतपुर और सीकर जिलों में दो बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 11 अन्य बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं। यह सिरप सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा योजना के तहत बांटी जा रही थी। बच्चों में उल्टी, बेचैनी और कई घंटों तक बेहोशी जैसे लक्षण देखे गए हैं। इस घटना के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी घातक दवा अस्पतालों तक कैसे पहुंची और दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
कंपनी के मालिक वीरेंद्र कुमार गुप्ता, जो जयपुर के बनी पार्क इलाके के निवासी हैं, फरार हो चुके हैं। फैक्ट्री का संचालन और गुणवत्ता की जिम्मेदारी जनरल मैनेजर देवल कुमार गुप्ता के पास थी। बच्चों की मौत के कई दिन बाद भी इनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार, मालिक कार्रवाई से पहले ही फरार हो चुका है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या उसे किसी का संरक्षण मिला हुआ है। राजस्थान सरकार को इस मामले में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खिमसर ने कहा कि सरकार ने जांच के लिए नमूने भेज दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘जब तक लैब टेस्ट न हो जाए, यह कहना जल्दबाजी होगी कि खांसी के सिरप में जहर है। लैब टेस्ट में तीन दिन लगेंगे और हम एक से ज़्यादा प्रयोगशालाओं से परीक्षण करवा रहे हैं।’ कंपनी की एक दवा को पहले भी एक साल के लिए बैन किया जा चुका है। राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम ने केयसंस फार्मा लिमिटेड की खांसी की सिरप को एक साल के लिए बैन कर दिया था।
छिंदवाड़ा में भी कफ सिरप से बच्चों की मौत हो रही है। यहां अब तक छह मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच में कफ सिरप को जिम्मेदार पाया गया है। भोपाल में भी स्वास्थ्य विभाग ने दो कफ सिरप को बैन कर दिया है।