एआई की मदद से ईसीजी से हार्ट अटैक का पूर्वानुमान संभव

जयपुर। दिल की बीमारियों में सबसे बड़ा खतरा अचानक आने वाला हार्ट अटैक होता है। अक्सर मरीज को इसका अंदाजा भी नहीं होता और कई बार यह जानलेवा साबित हो जाता है। लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इस खतरे को पहले से पहचान लेगा। हाल के शोधों में पाया गया है कि एआई असिस्टेड ईसीजी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को आने वाले 10 वर्षों में हार्ट अटैक की कितनी संभावना है। शहर में आयोजित दो दिवसीय जयपुर हार्ट रिद्म समिट-2025 कान्फ्रेंस में यह बात सामने आई है। कान्फ्रेंस में डॉ.

अपर्णा सक्सेना ने बताय कि एआई एल्गोरिद्म साधारण ईसीजी की वे सूक्ष्म बारीकियां पकड़ लेते हैं, जो आमतौर पर डॉक्टरों को आंखों से दिखाई नहीं देतीं। ये बदलाव भविष्य में कोरोनरी आर्टरी डिजीज और ब्लॉकेज का संकेत हो सकते हैं। एआई आधारित तकनीक शुरुआती जांच के रूप में बेहद कारगर हो सकती है। कान्फ्रेंस का रविवार को समापन भी हुआ। एट्रियल और वेंट्रिकुलर लीडलेस डिवाइ पर डॉ. अपर्णा जायसवाल ने नई जेनरेशन के लीडलेस पेसमेकर, डॉ. विवेक माथुर ने वर्ल्ड हार्ट फेल्योर मैनेजमेंट में बदलते परिदृश्य, डॉ. अनिल सक्सेना ने ल्यूमेनलेस लीड्स के फायदे-नुकसान बताए। डॉ.

कुश कुमार भगत ने स्टाइलट ड्रिवन लीड्स, डॉ. आशीष ने इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर और डॉ. निति चड्ढा ने एएफ मैनेजमेंट इन इम्प्लांटेबल डिवाइसेस पर अपनी बातें रखीं। ईसीजी क्विज में विजेता को पुरस्कृत भी किया गया। कॉन्फ्रेंस ईटर्नल हॉस्पिटल और हल्दी हार्ट ग्रुप की ओर से हुई है। 15-20 फीसदी मरीजों को अनियंत्रित धड़कन की समस्याडॉ. विवेक माथुर ने बताया कि आइसीयू में भर्ती होने वाले 15-20 प्रतिशत मरीजों को अनियंत्रित धड़कन की बीमारी होती है। अधिकांश मरीज एट्रियल फिब्रिलेशन या वेंट्रीकुलर ट्रेकी कार्डिया से पीड़ित होते हैं। इन मरीजों की मृत्यु दर भी अधिक है।

ऐसे में अब तक एट्रियल फिब्रिलेशन के इलाज में रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन द्वारा ब्लॉक कर धड़कन को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता था।

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