प्रदेश में बच्चों और माताओं की बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 14 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत और सुविधाओं के विकास पर करीब 248 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। कई जिलों में मरम्मत और रंगरोगन का कार्य तेज गति से चल रहा है, ताकि केंद्रों को सुरक्षित और सुविधायुक्त बनाया जा सके।
विभाग के अनुसार, 6,451 आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत और जरूरी सुविधाएं विकसित करने के लिए लगभग 134.95 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इन केंद्रों में बिजली, पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। काम जिलेवार रूप से चल रहा है। इसके साथ ही, 3,033 केंद्रों की मरम्मत का कार्य राज्य मद से करवाया जा रहा है। इसके अलावा, विभाग ने बताया कि मरम्मत और विकास का काम विभिन्न विधायक, सांसद और अन्य मदों से मिले बजट से भी करवाया जाएगा।
वहीं, 2,500 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों को जनसहयोग से “नंदघर” के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन नंदघरों में आधुनिक सुविधाएं, बच्चों के लिए बेहतर पोषण केंद्र और शिक्षण-सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। 116 केंद्रों की मरम्मत भी जनसहयोग से करवाई जा रही है, जिससे स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य में 2,365 आंगनबाड़ी केंद्रों को “आदर्श आंगनबाड़ी” के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
इन केंद्रों पर मरम्मत के साथ-साथ पेयजल, विद्युत आपूर्ति, स्वच्छ शौचालय, और बच्चों के लिए खेल व शिक्षण सामग्री की व्यवस्था की जा रही है। इससे आंगनबाड़ी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और ग्रामीण इलाकों में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाएं और प्रभावी बनेंगी। झालावाड़ हादसे के बाद विभाग ने पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों की भवन स्थिति का सर्वे कराया था। सर्वे में 6,000 से अधिक केंद्र जर्जर पाए गए, जिन्हें तत्काल मरम्मत की जरूरत थी। इनमें से कई केंद्रों पर अब काम शुरू हो चुका है।
सिर्फ जयपुर जिले में ही 192 आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर पाए गए थे। विभाग ने तय किया है कि सभी पुराने केंद्रों को चरणबद्ध तरीके से नया रूप दिया जाएगा ताकि बच्चों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


