जयपुर। आतंकवादी निरोधक दस्ता (एटीएस) ने दो बड़े ऑपरेशन डेविल लॉयन एवं ऑपरेशन टंडन के तहत 50 हजार रुपए के दो इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी करीब आठ साल से फरार चल रहे थे। दोनों पर 30-30 से ज्यादा प्रकरण लंबित चल रहे थे। एटीएस आईजी विकास कुमार ने बताया कि एडीजी वीके सिंह के निर्देश पर राजस्थान ने वर्ष 2017 से फरार सवाेर्दय कॉपरेटिव सोसायटी में निवेश करने के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले 25-25 हजार रुपए के दो फरार इनामी अपराधियाें को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों पर एसपी जालौर ने 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। यह हुए खुलासेआरोपी कम समय में रुपए दोगुने करने का झांसा देकर निवेशकों से करोड़ों रुपए की राशि डकार गए। वर्ष 2017 से ही जालौर सहित कई जिलों की पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही थी। आरोपी जयपुर के झोटवाड़ा इलाके में छिपकर अपना धंधा चला रहे थे। गिरफ्तार आरोपी शैलेन्द्र सिंह और ऋषिराज गिरवा बाड़मेर हाल सिरोही के रहने वाले हैं। आरोपी सिरोही इलाके से पहचान छुपाकर होम्योपैथिक डॉक्टर बनकर झोटवाड़ा में रह रहे थे।
आरोपी ऋषिराज पूर्व में वर्ष 2014 में चार मामलों में गिरफ्तार हो चुका है। आरोपी के पिता पूर्व में देना बैंक में कर्मचारी रहे हैं जो उक्त मुकदमों में गिरफ्तार हो चुके हैं। अपराधी की कहानीआईजी कुमार ने बताया कि वर्ष 2008-09 में सवार्दय कॉपरेटिव सोसायटी ने सिरोही, पाली व जालौर में कुल 28 शाखाएं शुरू कीं। सोसायटी ने वर्ष 2012-13 से निवेशकों को मूल राशि व लाभांश देने से मना किया, जिस पर सर्वादय कॉपरेटिव सोसायती के पदाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज हुआ।
सोसायती में हीर सिंह सोलंकी-संस्थापक, रामकंवर पत्नी हीर सिंह चेयरपर्सन, भंवर सिंह चीफ जनरल मैनेजर, रतन सिंह एमडी, ऋषिराज रीजनल मैनेजर, शैलेन्द्र सिंह सदस्य थे। इनमें ऋषिराज व शैलेन्द्र सिंह के अलावा सभी गिरफ्तार हो चुके हैं व वर्तमान में करीब 35 मुकदमों की जांच संबंधित पुलिस कर रही है। ऐसे पकड़े गएदोनों आरोपियों पर एटीएस की टीम नजर रखे थी। चार-पांच दिनों से एटीएस की टीम झोटवाड़ा इलाके में घूम कर इन अपराधियों के छिपने के स्थान की पहचान करने में जुटी थी।
शैलेन्द्र सिंह के होम्योपैथिक का डॉक्टर होने व मेडिकल केम्पों में जाने का पता चलने पर एटीएस टीम ने इलाज के लिए सम्पर्क किया और झोटवाड़ा में स्थित एमडी रेजीडेंसी मेंं उसके फ्लैट पर मरीज बनकर पहुंचकर ऋषिराज व शैलेंन्द्र सिंह को धर दबोचा।

