अगर पहले गवाही के साठ दिन में ट्रायल पूरा नहीं हुआ तो जमानत मिलेगी

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत आपराधिक मामले में पहले गवाही के 60 दिन में मुकदमे की ट्रायल पूरी नहीं होने पर आरोपित को जमानत का लाभ दिया है। जस्टिस आनंद शर्मा की एकलपीठ ने जयपुर केंद्रीय कारागार में बंद हरियाणा निवासी अंकित बंसल की जमानत याचिका पर यह आदेश दिए। अदालत ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 480(6) के तहत गैर जमानती अपराध में यदि पहले गवाही के 60 दिन में ट्रायल पूरी नहीं होती है और आरोपित जेल में बंद है तो उसे जमानत पर रिहा करने का प्रावधान है।

मामले में याचिकाकर्ता जून 2024 से जेल में बंद है और फरवरी 2025 में निचली अदालत ने उसके खिलाफ प्रसंज्ञान लिया था। ऐसे में आरोपित को जमानत पर रिहा करना उचित होगा। इसके साथ ही अदालत ने 704 करोड रुपये के जीएसटी चोरी से जुड़े इस मामले में आरोपित को निर्देश दिए हैं कि वह जमानत मिलने के बाद हर महीने की 25 तारीख को संबंधित थाने में जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराए।

याचिकाकर्ता की ओर से जमानत अर्जी में अधिवक्ता दिनेश बिश्नोई ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 480(6) के तहत गैर जमानती अपराध में 60 दिन के भीतर ट्रायल पूरी होने का प्रावधान है। ऐसा नहीं होने पर आरोपित को जमानत दी जाती है। इस मामले में निचली अदालत ने बार-बार तारीखें दी हैं, लेकिन 60 दिन से अधिक समय बाद भी ट्रायल में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में बीएनएसएस के जरूरी प्रावधानों के तहत आरोपित को जमानत पर रिहा किया जाए।

इसका विरोध करते हुए जीएसटी विभाग की ओर से कहा गया कि आरोपित पर करोड़ों रुपये के आर्थिक अपराध का मामला है और जीएसटी के मामले में विशेष कानूनी प्रावधान है। ऐसे में इसे बीएनएसएस के सामान्य प्रावधानों के नजरिए से नहीं देखा जा सकता। इसलिए आरोपित को जमानत नहीं दी जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपित को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और ढाई-ढाई लाख रुपये के दो जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।

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