बाड़मेर के लिए टांके बंद करना जीवन रेखा को काटना है

Kheem Singh Bhati

थार नगरी बाड़मेर में सरकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर आदेश लिखने वालों ने शायद कभी मरुभूमि की प्यास नहीं समझी। यहाँ लोग बूँद-बूँद पानी के लिए तरसते हैं, और मनरेगा के तहत बने टांके गांवों की जीवनरेखा बने हुए हैं। इनसे इंसान, मवेशी और खेत सभी का सहारा जुड़ा हुआ है।

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