थार नगरी बाड़मेर में सरकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर आदेश लिखने वालों ने शायद कभी मरुभूमि की प्यास नहीं समझी। यहाँ लोग बूँद-बूँद पानी के लिए तरसते हैं, और मनरेगा के तहत बने टांके गांवों की जीवनरेखा बने हुए हैं। इनसे इंसान, मवेशी और खेत सभी का सहारा जुड़ा हुआ है।
