भारतीय रसोई की हर खुशबू और स्वाद मिर्च से जुड़ा है। चाहे हल्की तीखी मिर्च हो या तेज गुंटूर मिर्च, भारतीय खाने का असली स्वाद मिर्च के बिना अधूरा लगता है। इसलिए लोग अब घर की छत, बालकनी या किचन गार्डन में मिर्च उगाने लगे हैं। लेकिन मिर्च उगाना केवल बीज डालने का काम नहीं है; असली खेल मिट्टी का है। हर मिर्च की किस्म की अपनी जरूरतें होती हैं, जैसे कुछ को अधिक नमी चाहिए, कुछ को तापमान, और कुछ को हल्की दोमट मिट्टी।
यदि आप पौधों का कमजोर होना या फल न आना जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो समस्या बीज में नहीं, बल्कि मिट्टी के चुनाव में हो सकती है। मिर्च उगाने की कला मिट्टी को समझने से शुरू होती है। भारत में मिर्च की किस्में केवल तीखेपन और रंग के हिसाब से अलग नहीं होतीं, बल्कि उनकी मिट्टी की जरूरतें भी बदल जाती हैं। मिर्च का पौधा हल्की, भुरभुरी और अच्छी नमी वाली मिट्टी में बढ़ता है, लेकिन यह नियम हर मिर्च की किस्म के लिए समान नहीं है।
मिर्च की मिट्टी में पानी नहीं रुकना चाहिए, अन्यथा पौधा बीमार पड़ जाता है। गुंटूर मिर्च, जो दक्षिण भारत में लोकप्रिय है, को रेतीली दोमट या लाल रेतीली मिट्टी पसंद है। इसके लिए मिट्टी का pH 6.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए। कश्मीरी मिर्च के लिए रेतीली दोमट या उपजाऊ एलुवियल मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है, और इसका pH लेवल 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। भूत जोलोकिया, जो दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में से एक है, को दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी में बढ़ने में सबसे अच्छा लगता है।
ब्यादगी मिर्च, जो कर्नाटक में उगाई जाती है, नमी बनाए रखने वाली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है। मिट्टी में गोबर खाद या कम्पोस्ट मिलाना पौधों के लिए लाभकारी होता है।

