डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर साइबर ठगी से बचें

जयपुर। राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने आमजन को संभावित साइबर अपराधों के प्रति सतर्क रहने की एडवाइजरी जारी की है। इसे डिजिटल अरेस्ट के नाम से जाना जाता है। कोई भी पुलिस या सरकारी एजेंसी किसी को वीडियो कॉल पर या डिजिटल माध्यम से गिरफ्तार नहीं करती है। साइबर अपराधी कैसे बनाते हैं शिकार: डीआईजी साइबर क्राइम विकास शर्मा ने बताया कि साइबर अपराधी खुद को सीबीआई, पुलिस, कस्टम, ईडी, इनकम टैक्स अधिकारी या न्यायिक अधिकारी बताकर मोबाइल पर कॉल करते हैं और लोगों को डराते हैं।

ठग ये देते हैं धमकियां: आपके बच्चों या परिवार द्वारा कोई अपराध किया गया है और उनकी गिरफ्तारी होगी। आपके बैंक खाते में देश विरोधी गतिविधियों या मनी लॉंड्रिंग का पैसा जमा है। आपके समस्त खाते एफडी, इन्वेस्टमेंट का वेरिफिकेशन आवश्यक है। आपके आधार कार्ड से जारी सिम नंबर अपराध में शामिल हैं। ये धमकियां देकर वे पीड़ित को पूरी तरह से डरा कर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट का शिकार कर लेते हैं। पैसा सरकारी खाते में जमा करने का आदेश: डीआईजी शर्मा ने बताया कि डराने-धमकाने के कुछ समय बाद फर्जी बड़े अधिकारी का वीडियो कॉल आता है।

वह अधिकारी पीड़ित को धमकाता है कि खाते में अधिक रुपए होने के कारण उन्हें इनकम टैक्स देना होगा। वे कहते हैं कि वेरिफिकेशन के दौरान यह सारी रकम एक सरकारी बैंक खाते में डालनी होगी, जो वास्तव में साइबर ठगों का ही खाता होता है।

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